जीवन रूपी नैया को पार लगाने को आत्मा के भाव को पहचानें

हीमपुर दीपा (बिजनौर) : गुरुवार को ग्राम पुट्ठा में वयोवृद्ध समाजसेवी परशराम ¨सह के प्रतिष्ठान पर आयोजित तीन दिवसीय सामवेद पारायण महायज्ञ के पूर्णाहुति के पश्चात आयोजित कार्यक्रम में जिला वेद प्रचार अधिष्ठाता एवं प्रसिद्ध भजन उपदेशक कुलदीप विद्यार्थी ने कहा कि वास्तव में मनुष्य स्वार्थ भाव के वशीभूत होकर अपने अंदर आत्मा के भाव को नहीं पहचान पाता। जिसके चलते मनुष्य अपने जीवन के दौरान समस्याओं के मकड़जाल में फंसा रहता है और जीवनपर्यंत द्वंद में रहकर अपना जीवन बर्बाद कर लेता है। यदि मनुष्य निष्काम भाव से आत्मा के अंतर भाव को पहचान कर क्रियाशीलता से आत्म ¨चतन मनन करें तो निश्चित तौर पर उसका जीवन कामयाब हो जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 03 Jan 2019 10:30 PM (IST) Updated:Thu, 03 Jan 2019 10:30 PM (IST)
जीवन रूपी नैया को पार लगाने को आत्मा के भाव को पहचानें
जीवन रूपी नैया को पार लगाने को आत्मा के भाव को पहचानें

हीमपुर दीपा (बिजनौर) : गुरुवार को ग्राम पुट्ठा में वयोवृद्ध समाजसेवी परशराम ¨सह के प्रतिष्ठान पर आयोजित तीन दिवसीय सामवेद पारायण महायज्ञ के पूर्णाहुति के पश्चात आयोजित कार्यक्रम में जिला वेद प्रचार अधिष्ठाता एवं प्रसिद्ध भजन उपदेशक कुलदीप विद्यार्थी ने कहा कि वास्तव में मनुष्य स्वार्थ भाव के वशीभूत होकर अपने अंदर आत्मा के भाव को नहीं पहचान पाता। जिसके चलते मनुष्य अपने जीवन के दौरान समस्याओं के मकड़जाल में फंसा रहता है और जीवनपर्यंत द्वंद में रहकर अपना जीवन बर्बाद कर लेता है। यदि मनुष्य निष्काम भाव से आत्मा के अंतर भाव को पहचान कर क्रियाशीलता से आत्म ¨चतन मनन करें तो निश्चित तौर पर उसका जीवन कामयाब हो जाता है। मनुष्य को चाहिए कि वह इंद्रियों का दमन कर ईश्वर की नित्य- प्रति संध्या उपासना करें।

उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने जीवन में सादा जीवन, उच्च विचार की परिपाटी अपनाकर जीवन शैली को सात्विक आहार के बलबूते अच्छे कार्य करने में तत्पर रहे। उसका भोजन भी सात्विक होना चाहिए।

सामवेद पारायण महायज्ञ का समापन वैदिक मंत्रों के पश्चात शांति पाठ से किया गया। तीसरे दिन कुलदीप विद्यार्थी के ब्रह्मत्व में आयोजित महायज्ञ के दौरान यजमान कामेन्द्र ¨सह रहे। अनुष्ठान को सफल बनाने में आयोजक परशराम ¨सह ने आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में ब्रह्मचारी अमित आर्य गुरुकुल मंझावली दिल्ली (निवासी माड़ी), कुमारी छवि आर्य, रजनीश देवी, संगीता कुमारी सरस्वती देवी कविता ¨सह, ¨पकी कुमारी, सुमन देवी, गुड़िया के अलावा भानु प्रताप आर्य मौजूद रहे। अध्यक्षता भानु प्रताप आर्य एवं संचालन कृष्ण पर आर्य ने किया

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