लाकडाउन में मिला जख्म तो गांव में खेती कर लगाया मरहम

मल्चिग विधि से सब्जी खेती कर लोगों के बीच बन गए नजीर खाली पड़ी भूमि पर सब्जी की खेती से लिख रहे समृद्धि की गाथा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 12:40 AM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 12:40 AM (IST)
लाकडाउन में मिला जख्म तो गांव में खेती कर लगाया मरहम
लाकडाउन में मिला जख्म तो गांव में खेती कर लगाया मरहम

जागरण संवाददाता, बस्ती : कोरोना संक्रमण काल में जब देश लाकडाउन में जकड़ा तो लोगों के सामने कई चुनौतियां आईं। लोगों के काम धंधे चौपट हो गए। रोटी के लाले पड़ गए, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे, जो जज्बे को दिखाया और अब वह नजीर बन गए हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रुधौली ब्लाक के सिसवारी गांव के किसान सउद अहमद चौधरी ने।

मुंबई में लाकडाउन के दौरान जो जख्म मिला तब जैसे-तैसे गांव पहुंच गए। यहां सब्जी की खेती शुरू की और अब चार हेक्टेयर क्षेत्र में मल्चिग विधि से सब्जी के कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं। खेती कर वह खुद को आर्थिक रूप से समृद्ध करने में जुट गए हैं।

सउद पहले मुंबई रहकर खुद का कारोबार करते थे। कामधंधा ठीक चल रहा था, तभी देश में अचानक कोरोना ने दस्तक दिया और बाद में लाकडाउन लग गया। कुछ दिन इंतजार किए। बात नहीं बनी तो वह परिवार संग गांव लौट आए। यहां उन्होंने उद्यान विभाग के विशेषज्ञों से सलाह ली और खेती की ओर कदम बढ़ा दिए। विभाग के बताए गए तकनीक से सब्जी खेती शुरू कर दिए। मौजूदा समय में सउद के खेत में शिमला मिर्च, पत्ता व फूल गोभी, मटर, लहसुन फसल लहलहा रही है। खरपतवार से बचाव को मल्चिग विधि अपनाए हुए हैं। सउद बताते हैं कि खेती कर वह काफी खुश हैं। अब मुंबई लौटने का मन नहीं करता। गांव को ही अपना शहर बना लिए हैं। लोगों को भी प्रेरित करेंगे और खेती से समृद्धि की गाथा लिखेंगे। सालाना 50 लाख रुपये की कर दिए व्यवस्था :

सउद ने बताया कि चार हेक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जी की खेती शुरू की है। इसमें 15 लाख रुपये लागत आई है। औसत सालाना इस खेती से 50 लाख रुपये की आमदनी होगी। विभाग ने भी भरपूर सहयोग किया। आत्मा योजना से इन्हें अनुदान भी दिया गया है।

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