जेब में पैसा हो या न हो, लेकिन बरेली की इन रसोई घरों से कोई भूखा नहीं लौटता Bareilly News
अन्न की बर्बादी न हो इसलिए सामान्य शुल्क भी रखा है। मगर जो जरूरतमंद खाली जेब आते हैं उन्हें भी भरपेट भोजन कराया जाता है।
जेएनएन, बरेली : अन्न का महत्व समझना है तो उस शख्स से पूछिए जो दो वक्त के निवाले के लिए जूझता है। कई जतन करता है फिर भी पेट की भूख शांत नहीं हो पाती। ऐसे जरूरतमंदों के लिए शहर के समाजसेवियों ने कदम बढ़ाए। उन्हें सस्ता भोजन मुहैया करा रहे हैं। अन्न की बर्बादी न हो, इसलिए सामान्य शुल्क भी रखा है। मगर, जो जरूरतमंद खाली जेब आते हैं, उन्हें भी भरपेट भोजन कराया जाता है।
सब की रसोई : दो साल पहले 22 जुलाई 2020 को सब की रसोई की शुरूआत की गई। बिना प्रचार-प्रसार के चार समाजसेवी लोगों को भोजन कराने की सेवा में जुटे हुए हैं। सेवा करने वालों में अश्वनी ओबराय, यशपाल कक्कड़ एडवोकेट, अमरजीत बग्गा और विजय पागरानी शामिल हैं। अश्वनी ओबराय ने बताया कि हमारा उद्देश्य जीव आत्मा को पूर्ण रूप से संतुष्ट करना है। और किसी भूखे को भरपेट भोजन कराने से ही वह पूर्ण रूप से संतुष्ट होता है। इस उद्देश्य का अपने मित्र यशपाल से जिक्र किया तो वह तुरंत तैयार हो गए। औपचारिकता के तौर पर दस रुपये शुल्क रखा है मगर यह अनिवार्य नहीं है।
सीता रसोई : रामपुर गार्डन में छह दिसंबर को 2018 को सीता रसोई की शुरूआत हुई। यहां हर रोज करीब 250 लोगों को भरपेट भोजन कराया जाता है। सेवा करने वालों में 11 सदस्य शमिल हैं। जिसमें पंकज अग्रवाल, प्रभात किशोर अग्रवाल, रमेश चंद्र अग्रवाल, प्रमोद मित्तल, सुनील अग्रवाल आदि शामिल हैं। समिति अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने बताया कि मानवता सेवा की भावना से रसोई शुरू की शुरूआत की गई है जिससे जिन्हें भोजन की अधिक परेशानी है वह यहां पहुंचकर खाना खा सकें। वितरण के बाद सभी सदस्य प्रसाद के रूप में इसी भोजन को ग्रहण करते हैं। शुल्क यहां भी है मगर इसकी अनिवार्यता नहीं है।
तीमारदारों के लिए भोजन वितरण : आहूति फाउंडेशन की ओर से मानसिक चिकित्साल में प्रत्येक मंगलवार को खिचड़ी का वितरण किया जाता है। संस्था के संजय प्रताप सिंह ने बताया कि 24 दिसंबर 2019 को खिचड़ी वितरण शुरू किया गया। सुबह 11 बजे मरीजों के तीमारदारों को खिचड़ी, सलाद और चटनी दी जाती है। हमारी कोशिश है कि मरीजों व तीमारदारों के लिए सस्ता आसानी से मिल जाए। पांच रुपये शुल्क रखा है मगर जिनके पास रुपये नहीं होते हैं उन्हें भी वापस नहीं किया जाता। निश्शुल्क भरपेट भोजन कराया जाता है।
मात्र दस रुपये में कई बार भोजन कर चुका हूं। शुरूआत में गुणवत्ता पर संदेह हुआ था लेकिन खाने के बाद भ्रम दूर हो गया। - अमित कुमार ओझा, डिफेंस कॉलोनी
दिहाड़ी मजदूरों के लिए दोपहर का भोजन की यह सर्वोत्तम स्थान हैं। मेरे कई साथी दोपहर में यही भोजन करते हैं। - श्याम वीर, हजियापुर