बरेली में लावारिसों की तरह रह रही थी शकुल, छह साल बाद मिला परिवार

बरेली(जेएनएन)। शैकुल खातून..। परिवार में पति हैं, भाई व बहन भी, लेकिन छह साल तक घर से सैंकड़ों मील दू

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Jun 2018 02:15 PM (IST) Updated:Sat, 09 Jun 2018 02:15 PM (IST)
बरेली में लावारिसों की तरह रह रही थी शकुल, छह साल बाद मिला परिवार
बरेली में लावारिसों की तरह रह रही थी शकुल, छह साल बाद मिला परिवार

बरेली(जेएनएन)। शैकुल खातून..। परिवार में पति हैं, भाई व बहन भी, लेकिन छह साल तक घर से सैंकड़ों मील दूर अनजानों के बीच लावारिसों की तरह दिन काटती रही। मानसिक मंदित होने पर शहर के ममता आश्रम में रहने को मजबूर शैकुल को एक सामाजिक कार्यकर्ता की कोशिशों से छह साल बाद परिवार फिर से नसीब हो सका। बहन की खबर, पता लगते ही भाई शहर पहुंचा। ममता आश्रम प्रबंधन ने औपचारिकता पूरी कर महिला को भाई को सौंप दिया।

शैकुल खातून उर्फ शैफुल मूल रूप से झारखंड के देवघर जिले में मधुपुर कस्बा के पास पथरिया सुग्गापहेरी गांव की निवासी है। दो भाई, तीन बहनें हैं। अक्टूबर 2011 में जौनपुर जिले में सुजानपुर क्षेत्र के गांव तारापुर निवासी जलालुद्दीन से उसकी शादी हुई थी। शादी के एक साल बाद ससुराल में परेशानियों से मानसिक संतुलन बिगड़ने पर वह अचानक लापता हो गई। ससुराल से लेकर झारखंड तक भाइयों ने तमाम जगह उसे तलाश किया।

मानसिक चिकित्सालय से भेजी गई आश्रम : 2015 में शैकुल बरेली में स्टेशन रोड के पास लावारिस और मानसिक अस्वस्थ मिली थी। प्रशासन ने उसे मानसिक चिकित्सालय में भर्ती कराया। वहां से तीन नवंबर 2015 को तत्कालीन डीएम के आदेश पर उसे हरुनगला स्थित मानसिक मंदित आश्रय गृह एवं सह प्रशिक्षण केंद्र (ममता आश्रम) भेज दिया गया। आश्रम में सामाजिक कार्यकर्ता शैलेष शर्मा ने काउंसलिंग की। तब देवघर का पता मिला। स्थानीय पुलिस से इसकी तस्दीक कर परिजन को खबर की। शुक्रवार को शैकुल के भाई हारुन शेख बरेली पहुंचे। ममता आश्रम के प्रभारी नवीन जौहरी ने औपचारिकता पूरी कराई। देर शाम वह बहन को लेकर देवघर रवाना हो गए।

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