सांसद की पहल पर विवाद खत्म, चिकित्सक नही देंगे इस्तीफा

बलिया जिला अस्पताल में गुरूवार को भाजपा जिलाध्यक्ष द्वारा अस्पताल की दु‌र्व्यस्था के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के दूसरे दिन आक्रोशित चिकित्सकों ने सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी पर प्रशासन में हड़कम्प मच गया। सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त ने इस मामले को संज्ञान में लेकर जिलाधिकारी संग चिकित्सकों के साथ बैठक कर मामले का शांत किया। बैठक के पूर्व अस्पताल में सभी चिकित्सकों ने सीएमएस कार्यालय में गोपनीय बैठक किया। शनिवार की शाम को कलेक्ट्रेट सभागार में सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त जिलाध्यक्ष विनोद शंकर दूबे जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत सीएमओ डा. पीके मिश्र सीएमएस डा. एस प्रसाद संग अस्पताल के सभी चिकित्सकों के संग बैठक हुई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Aug 2019 01:03 AM (IST) Updated:Sun, 25 Aug 2019 01:03 AM (IST)
सांसद की पहल पर विवाद खत्म, चिकित्सक नही देंगे इस्तीफा
सांसद की पहल पर विवाद खत्म, चिकित्सक नही देंगे इस्तीफा

जागरण संवाददाता, बलिया : जिला अस्पताल के आक्रोशित चिकित्सकों ने सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी वापस ले ली है। सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए जिलाधिकारी संग चिकित्सकों के साथ बैठक की और मामले को शांत किया।

बैठक के पूर्व अस्पताल में सभी चिकित्सकों ने सीएमएस कार्यालय में गोपनीय बैठक की। शनिवार की शाम कलेक्ट्रेट सभागार में सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद शंकर दूबे, जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत, सीएमओ डा. पीके मिश्र, सीएमएस डा.एस. प्रसाद व सभी चिकित्सकों संग बैठक की। इसमें चिकित्सकों ने सांसद के सामने भाजपा अध्यक्ष विनोद शंकर दुबे द्वारा अपमानित करने और आए दिन चिकित्सकों के साथ हो रहे दु‌र्व्यहार की घटनाओं की जानकारी दी। भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद ने चिकित्सकों संग दु‌र्व्यहार से इनकार किया। बोले, मरीजों ने जो समस्या बताई उसी के बारे में जानकारी लेने जिला अस्पताल गया था।

बैठक में सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने चिकित्सकों से कहा कि आप लोग ऐसा काम करें कि कोई आप पर अंगुली न उठाए। सरकार की मंशा के अनुरूप मरीजों को उपचार व सुविधाएं मिले। मरीजों के साथ कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिलाधिकारी से कहा कि चिकित्सकों के साथ दु‌र्व्यहार की घटना रोकने के लिए मुकम्मल प्रबंध करें। डीएम ने सांसद को चिकित्सकों को सुरक्षा देने का वादा किया। इस दौरान चिकित्सकों ने किसी भी दशा में बाहर की दवा न लिखने का आश्वासन दिया।

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