प्लास्टिक बैन होने से खुली रोजगार की राह

सरकार का दो अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने का कदम रंग लाने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Nov 2019 11:55 PM (IST) Updated:Thu, 07 Nov 2019 11:55 PM (IST)
प्लास्टिक बैन होने से खुली रोजगार की राह
प्लास्टिक बैन होने से खुली रोजगार की राह

बागपत, जेएनएन:

सरकार का दो अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने का कदम रंग लाने लगा है। प्लास्टिक पर बैन से पर्यावरण सुधरने के संग रोजगार की राह खुलने लगी। इसका नमूना पीएम रोजगार सृजन कार्यक्रम के इंटरव्यू में देखने को मिला। दर्जनों महिलाओं ने कागज के लिफाफे व कपड़े के बैग बनवाने का कारोबार शुरू करने को कर्ज मांगा है।

सीडीओ पीसी जायसवाल की अध्यक्षता में गुरुवार को विकास भवन सभागार में स्वरोजगार के लिए कर्ज देने को आवेदकों के इंटरव्यू लिए गए। जिला उद्योग केंद्र से कर्ज पाने को 90 आवेदक, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड में 50 व खादी ग्रामोद्योग आयोग में 35 आवेदकों ने ऑनलाइन आवेदन किए। इनमें 40 महिलाओं ने कागज के लिफाफे, बैग तथा कपड़े एवं जूट के बैग बना बाजार में सप्लाई करने का कारोबार शुरू करने को कर्ज मांगा है।

इंटरव्यू में पूछे गए सवाल का बागपत की अंजू तथा बड़ौत की वर्षा ने जवाब दिया कि सिगल यूज प्लास्टिक बैन होने से बाजार में कागज लिफाफों व जूट और कपड़े के बैग की खासी मांग बढ़ी है। इस काम के लिए हमें 20 से 25 लाख रुपये कर्ज चाहिए ताकि दो-चार लाख रुपये अपने पास से लगाकर उद्योग के रूप में कागज के लिफाफे व कपड़े के बैग बनाकर खुद के साथ दूसरी महिलाओं को रोजगार दे सकें।

बागपत की तस्लीमा तथा बड़ौत की पूनम ने अधिकारियों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि पीएम मोदी ने प्लास्टिक बैन कराने का अच्छा काम किया। अब हमें मिट्टी के सकोरे, लिफाफे तथा कैरी बैग के कारोबार से रोजगार मिलेगा। जिला उद्योग केंद्र उपायुक्त हिमांशु गंगवार ने बताया कि पहली बार कागज के लिफाफे व कपड़ों-जूट के बैग बनाने के लिए लोग कर्ज लेने आए हैं। जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक प्रदीप वसंत थरोत, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी अजयपाल और खादी ग्रामोद्योग आयोग के सुरेंद्र पाल मौजूद रहे।

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बदलने लगी कारोबार की सोच

जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त ने बताया पहले ज्यादातर लोग खल-चूरी, भैंस पालन और दुकान के लिए कर्ज मांगते थे। अब ज्यादातर ने तेल मिल लगाने व दूध से विभिन्न प्रोडक्ट बनाने, आटा चक्की और रिम-धुरा बनाने को 25 लाख तक कर्ज मांगा है।

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