दो साल से नहीं बंटा पोषाहार

By Edited By: Publish:Fri, 25 Jul 2014 11:33 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jul 2014 11:33 PM (IST)
दो साल से नहीं बंटा पोषाहार

बदायूं : बाल विकास परियोजना कार्यालय से चलने वाली योजना सिर्फ हवा में चल रही है। धरातल पर योजना कहीं दिखाई नहीं दे रही है। डहरपुर कलां में तो पिछले दो साल से पुष्टाहार ही नहीं बांटा गया है।

दातागंज-बदायूं मार्ग पर तहसील का सबसे अधिक आबादी वाला डहरपुर कलां गांव है। इस गांव में दो साल से पोषाहार का वितरण नहीं हुआ है। गांव में जिस जगह केंद्र बने हैं वह केंद्र बंद पड़े रहते हैं। गांव में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए पोषाहार दिया जाता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी पोषाहार दिया जाता है लेकिन डहरपुर कलां गांव में दो साल से पोषाहार नहीं बांटा गया है।

ब्लाक मुख्यालय पर बना परियोजना कार्यालय में सीडीपीओ से लेकर सुपरवाइजर तक रहती हैं, लेकिन डहरपुर कलां गांव में पोषाहार वितरण के मामले को विभाग चुप्पी साधे बैठा है। बताते हैं कि डहरपुर कलां गांव में पोषाहार का कट्टा खुलेआम 200 रुपये से लेकर 250 रुपये तक बेचा जा रहा है। पोषाहार जानवरों को खिलाने के काम आ रहा है। जिलाधिकारी बदायूं शंभूनाथ यादव ने जिले पर मीटिंग करके कड़े शब्दों में कहा था कि अगर केंद्र पर गड़बड़ी हुई तो विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की खैर नहीं होगी। इसके बावजूद दो साल से पोषाहार वितरण नहीं हुआ फिर भी कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। एक सप्ताह पहले पूर्व ब्लाक प्रमुख अवनीश यादव बाल विकास परियोजना कार्यालय गए थे। पूर्व प्रमुख को शिकायत मिली थी आंगनबाड़ी से पोषाहार उठाने के एवज में पांच सौ से लेकर एक हजार तक लिए जा रहे हैं। इस मामले में शिकायत भी पूर्व प्रमुख ने डीएम से की थी लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

फोटो-25बीडीएन-50

गांव में अब तक पोषाहार नहीं बांटा गया है कई बार आंगनबाड़ी केंद्र तलाश किया गया लेकिन केंद्र कब खुलता है और कब बंद होता है कुछ पता नहीं है।

जरीना

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विभाग की मिलीभगत से पोषाहार खुलेआम बाजार में बिक रहा है। तथा गर्भवती महिलाओं को पोषाहार नहीं दिया जा रहा है और न ही अब तक गांव में कोई अधिकारी केंद्र चेक करने नहीं आया

फातमा

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विभाग की मिलीभगत से दो साल से गांव में पोषाहार का वितरण नहीं किया गया है। मामले की शिकायत की गई लेकिन ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार है इसलिए कार्यवाही नहीं होती है। फरजाना

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