उत्तर से दक्षिण तक समान रूप से लोकप्रिय है हिंदी भाषा

हिंदी भाषा काफी समृद्ध है। उत्‍तर से दक्षिण तक यह समान रूप से लोकप्रिय है। यह बातें एसबीआइ में आयोजित हिंदी पखवारे में इविवि हिंदी के पूर्व विभागाध्‍यक्ष प्रो: मुश्‍ताक अली ने कही।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 16 Sep 2018 01:19 PM (IST) Updated:Sun, 16 Sep 2018 01:19 PM (IST)
उत्तर से दक्षिण तक समान रूप से लोकप्रिय है हिंदी भाषा
उत्तर से दक्षिण तक समान रूप से लोकप्रिय है हिंदी भाषा

जासं, इलाहाबाद : भारतीय स्टेट बैंक के प्रशासनिक कार्यालय में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में राजभाषा पखवारे का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. मुश्ताक अली ने कहा कि दी का स्थान कोई अन्य भाषा नहीं ले सकती है। यह भाषा उत्तर से दक्षिण तक समान रूप से लोकप्रिय है।

 उन्होंने कहा कि आज हिंदी तकनीकी भाषा बन चुकी है। देश में अब तकनीकी शिक्षा ङ्क्षहदी में देने की शुरुआत हो चुकी है। ङ्क्षहदी देश में ही नहीं विदेशों में भी पढ़ी और पढ़ाई जा रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बैंक के सहायक महाप्रबंधक शेखर शुक्ला ने कहा कि हम सभी हिंदी भाषी क्षेत्र से हैं और यह सामान्य धारणा है कि हम अच्छी ङ्क्षहदी जानते हैं लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। कहा कि राजभाषा के रूप में ऐसी ङ्क्षहदी हो आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें क्षेत्रीय प्रतिद्वंदिता नहीं है। मुख्य प्रबंधक रणधीर कुमार झा ने स्वागत भाषण दिया। संचालन राजभाषा अधिकारी दिनेश मणि पाठक ने किया। कार्यक्रम में प्रबंधक विष्णुकांत शुक्ल, दीपक मेहरोत्रा, धर्मेंद्र प्रताप सिंह आदि मौजूद रहे।

भजन प्रतियोगिता में सर्वांग प्रथम :

जगत तारन गोल्डन जुबली स्कूल में शनिवार को हिंदी दिवस मनाया गया। स्कूल के प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न अंतर विद्यालयी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि आइजी रेलवे भजनी राम और वरिष्ठ पत्रकार रतन दीक्षित रहे। 'निज भाषा उन्नति अहै' शीर्षक सांस्कृतिक एवं ज्ञानवर्धक प्रतियोगिताओं में छात्र छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। भजन प्रतियोगिता में एमपीवीएम के सर्वांग शेखर प्रथम, एसएमसी घूरपुर के गोवर्धन राय द्वितीय, जेटी गोल्डन जुबली की मारिशा दुबे तृतीय रहे। हास्य समाचार वाचन में डीपी पब्लिक स्कूल के विश्व मोहन जोशी प्रथम, जेटी गोल्डन जुबली की जागृति शुक्ला और टैगोर पब्लिक स्कूल के शिवांग ओझा द्वितीय एवं पतंजलि ऋषिकुल के शैली पांडेय तृतीय रहे। छवि चित्रण में प्रथम स्थान जेटी गोल्डन जुबली के चाहत यादव, द्वितीय स्थान पर एमपीवीएम के सुयश सिंह, तृतीय स्थान पर पतंजलि ऋषिकुल के श्वेतांक शेखर रहे।

 विज्ञापन लेखन में टैगोर पब्लिक स्कूल की शादमा फारूकी, द्वितीय स्थान पर डीपी पब्लिक स्कूल की स्वाती केशरवानी और एमपीवीएम की लावण्या यादव तृतीय स्थान पर रहे। अक्षरांकन में जेटी गोलडन जुबली की मुस्कान रमन प्रथम, गुरुकुल मॉनटेसरी की श्यामली द्वितीय एवं एमपीवीएम की प्रशंशिका तृतीय स्थान पर रहे। संचालन माधुरी श्रीवास्तव, धन्यवाद प्रतिमा मिश्रा ने किया। निर्णायक सदस्यों में डा. इला मालवीय, मंजू नारायण, शैलेष श्रीवास्तव, अभिलाष नारायण, रूपम नारायण पांडेय, सुषमा सिंह, नीरजा सिंह, सुमन मक्कड़ और अंसर सईद आदि शामिल रहे।

तकनीकी क्षेत्रों में हिंदी को मिले बढ़ावा :

वर्तमान में ङ्क्षहदी भाषा की स्थिति सोचनीय है। शासन स्तर पर प्रोत्साहन देने के लिए सकारात्मक पहल नहीं दिखती। ङ्क्षहदी को तकनीकी क्षेत्रों में अधिक बढ़ावा देना चाहिए। ङ्क्षहदी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री विभूति मिश्र ने शनिवार को यह बातें कहीं। प्रकृति संरक्षण एवं साहित्यिक मंच 'साहित्यांजलि प्रज्योदिÓ की ओर से 'शंकरलाल श्रीवास्तव मेमोरियल भवन', सभागार में आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय महोत्सव 'भाषारस-गागरी' में मुख्य अतिथि के रूप में विभूति मिश्र ने हिंदी के उन्नयन की दिशा में विचार व्यक्त किए। मुख्य वक्ता के रूप में इलाहाबाद विवि के दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रामकिशोर शर्मा ने कहा ङ्क्षहदी विश्वव्यापी भाषा है। यह संस्कृत के साथ ही प्राचीनकालीन सभी भारतीय भाषाओं की उत्तराधिकारिणी रही है। यह भारतीय स्वाभिमान की भाषा है।

 अध्यक्षता करते हुए  भाषाविद्-समीक्षक डा. पृथ्वीनाथ पांडेय ने कहा वर्तमान में शिक्षा के स्तर पर ङ्क्षहदी की जो दयनीय दशा दिख रही है, वह विचारणीय है। प्राथमिक स्तर से ही लेखन और उच्चारण की अशुद्धियों को दूर करने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। विशिष्ट अतिथि  शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सागर में ङ्क्षहदी विभागाध्यक्ष डॉ. घनश्याम भारती ने कहा कि वर्तमान में शैक्षणिक संस्थानों में ङ्क्षहदी को लेकर उदासीनता देखी जा रही है। संचालन डा. प्रदीप चित्रांशी ने किया। वरिष्ठ पत्रकार रमाशंकर श्रीवास्तव, रणविजय निषाद, प्रतिभा सिंह, डा. धारवेंद्र प्रताप त्रिपाठी, डॉ. रवि मिश्र, सुनील मिश्र भी वक्ताओं में थे।

सम्मानित हुए साहित्यकार :

आयोजन में सागर के डॉ. घनश्याम भारती को 'भाषागौरव सम्मान', सतना के बालकृष्ण गौतम को 'काव्यगौरव सम्मान', बिलासपुर के शिवशरण श्रीवास्तव को 'गीतगौरव सम्मान', धीरज श्रीवास्तव को 'सुरेशचंद्र-स्मृति नवगीत गौरव सम्मान' प्रदान किया गया। महेश सक्सेना और मुनींद्र श्रीवास्तव का सारस्वत अभिनंदन किया गया। हरिशंकर तिवारी, दीनानाथ शुक्ल, उर्वशी उपाध्याय, सुधारानी, डा. पूर्णिमा मालवीय, डा. सविता कुमारी श्रीवास्तव, नीतू सिंह, प्रभात कुमार की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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