इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- एससी-एसटी एक्ट का अपराध न बनने पर ली जा सकती अग्रिम जमानत

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत अपराध पर शिकायतकर्ता यदि प्रथम दृष्टया केस साबित नहीं करता तो आरोपियों को अग्रिम जमानत प्राप्त करने की अर्जी देने का अधिकार है। धारा-18 व 18-ए इसमें बाधक नहीं होगी।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 07:18 PM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 07:19 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- एससी-एसटी एक्ट का अपराध न बनने पर ली जा सकती अग्रिम जमानत
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट का अपराध न बनने पर अग्रिम जमानत ली जा सकती है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत अपराध पर शिकायतकर्ता यदि प्रथम दृष्टया केस साबित नहीं करता तो आरोपियों को अग्रिम जमानत प्राप्त करने की अर्जी देने का अधिकार है। धारा-18 व 18-ए इसमें बाधक नहीं होगी। याची का कहना था कि जातिसूचक अपशब्द कहने की घटना सार्वजनिक स्थान पर नहीं हुई, इसलिए एक्ट के तहत कोई अपराध नहीं हुआ। कोर्ट ने याची को अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की छूट दी है। कोर्ट ने कहा कि अदालत में सारे तथ्य रखे जाएं।

यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी व न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने रमाबाईनगर के शिवली थाना क्षेत्र के निवासी गोपाल मिश्र की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि सह अभियुक्त दीपक व अनिल कुमार शिकायतकर्ता के करीबी संबंधी है। उनके बीच विवाद में याची बीच-बचाव करने गया था। झूठा आरोप लगाकर फंसाया गया है।

याची का कहना था कि जातिसूचक अपशब्द कहने की घटना किसी सार्वजनिक स्थान पर घटित नहीं हुई है, इसलिए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगायी जाए। याची का यह भी कहना था कि यदि एससी-एसटी एक्ट के तहत अपराध बनता ही नहीं तो आरोपित को अग्रिम जमानत प्राप्त करने का अधिकार है। धारा-18 इसमें बाधक नहीं होगी जो अनुसूचित जाति-जनजाति के विरुद्ध अपराध में अग्रिम जमानत पर रोक लगाती है।

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