सात समंदर पार राम नाम का 'सूरज'

हिमांशु मिश्र, इलाहाबाद : 'मेरे तन में राम, मेरे मन में राम..मेरे रोम रोम में बसे हैं राम..। भजन है

By Edited By: Publish:Sun, 07 Feb 2016 01:00 AM (IST) Updated:Sun, 07 Feb 2016 01:00 AM (IST)
सात समंदर पार राम नाम का 'सूरज'

हिमांशु मिश्र, इलाहाबाद : 'मेरे तन में राम, मेरे मन में राम..मेरे रोम रोम में बसे हैं राम..। भजन है तो भज ले प्यारे बन जाएंगे सारे काम..। बेल्हा के रवि की कहानी राम नाम रूपी इसी महामंत्र को साकार कर रही है सात समंदर पार अमेरिका में भी। दुनिया में वह राम नाम की अलख जगाना चाहते हैं। इसी क्रम में उन्होंने अमेरिकी धरती जर्जिया में अपने ख्वाब को मंदिर के रूप में साकार किया है।

प्रतापगढ़ में करौंदहा गांव के मूल निवासी रवि उपाध्याय को बचपन से ही अध्यात्म के प्रति लगाव था। गांव के ही स्कूल में पढ़ाई के दौरान वह राम भक्ति में लीन हो चुके थे। डा.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि के लिए फैजाबाद में रहना शुरू किया तो भजन-कीर्तन में जाने लगे। उनके पिता पं.ज्ञान प्रकाश उपाध्याय ज्योतिष के ज्ञाता हैं। उन्होंने वर्ष 2008 में अमेरिका नॉरक्रास सिटी जार्जिया में हीरे और नीलम के पत्थरों का कारोबार शुरू किया। रवि भी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर 2012 में जार्जिया पहुंच गए। वहां न तो मंदिर था और न ही लोगों में भगवान के प्रति आस्था दिखती थी। रवि ने ठान लिया की वह विदेशी सरजमीं पर श्रीराम नाम की अलख जगाएंगे। 2014 में उनकी यह प्रतिज्ञा पूरी हुई। इस साल उन्होंने जार्जिया में राम और गणेश मंदिर की स्थापना करवाई। यह आसान नहीं था। इसके लिए उन्हें सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर काटने पड़े तब जाकर इजाजत मिली। इस प्रतिनिधि को उन्होंने बताया कि मंदिर में नियमित तौर पर दो से तीन घंटे तक भजन-कीर्तन होता है। बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल होते हैं। रवि कहते हैं कि अब वह पूरी दुनिया में राम नाम की अलख जगाना चाहते हैं।

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सिंहल से मिली प्रेरणा : रवि को दुनिया भर में श्रीराम नाम की अलख जगाने की प्रेरणा विश्व ¨हदू परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक रहे अशोक सिंहल से मिली थी। अशोक सिंहल भी अमेरिका प्रवास के दौरान जार्जिया में बनवाए गए उनके मंदिर में पूजा करने जाते थे। राम की भक्ति में लीन इस युवा का कहना है कि मंदिर में भारतीय परंपरा के अनुसार सारे व्रत व त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। इसमें प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल होते हैं।

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