आखिरकार इस बार दगा दे गई राकेश सिंह की किस्‍मत और कट गया सपा से टिकट

छर्रा विधानसभा सीट से इस बार ठा. राकेश सिंह की किस्मत मात खा गई। 2012 और 2017 के चुनावों में भी उनकी टिकट कटी थी। लेकिन अखिलेश यादव की पैरवी से दोनों चुनावों में उन्हें प्रत्याशी बनाया गया। 2012 में वह विधायक बने।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Tue, 18 Jan 2022 09:04 AM (IST) Updated:Tue, 18 Jan 2022 09:05 AM (IST)
आखिरकार इस बार दगा दे गई राकेश सिंह की किस्‍मत और कट गया सपा से टिकट
छर्रा विधानसभा सीट से इस बार ठा. राकेश सिंह की किस्मत मात खा गई।

अलीगढ़, जागरण संवाददता।  छर्रा विधानसभा सीट से इस बार ठा. राकेश सिंह की किस्मत मात खा गई। 2012 और 2017 के चुनावों में भी उनकी टिकट कटी थी। लेकिन, अखिलेश यादव की पैरवी से दोनों चुनावों में उन्हें प्रत्याशी बनाया गया। 2012 में वह विधायक बने। लेकिन, 2017 का चुनाव हार गए। इस बार भी उनकी प्रबल दावेदारी मानी जा रही थी। लेकिन, पार्टी हाईकमान की रणनीति के आगे उनकी ये दावेदारी जवाब दे गई। टिकट लक्ष्मी धनगर को दे दिया गया।

ऐसे आया उतार चढ़ाव

2012 के विधानसभा चुनाव में छर्रा सीट पर टिकट बार-बार बदली गई थी। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के करीबी पूर्व कबीना मंत्री ख्वाजा हलीम और राकेश सिंह के बीच कड़ा मुकाबला था। टिकट राकेश को मिली थी, लेकिन सपा संरक्षक ने टिकट काटकर ख्वाजा हलीम को प्रत्याशी घोषित कर दिया। लेकिन, अगले ही दिन अखिलेश यादव ने राकेश को टिकट दे दिया। फिर ख्वाजा हलीम मुलायम के पास चले गए और अपनी टिकट कंफर्म कर आए। यहां तक कि बी फार्म भी दोनों को दे दिया गया था। अंत में राकेश को टिकट दिया गया। तब वह चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। 2017 के चुनाव में भी कुछ ऐसा ही हुआ। तब भी मुलायम सिंह ने उनका टिकट काटा था। उनकी जगह धनीपुर के पूर्व ब्लाक प्रमुख तेजवीर सिंह प्रत्याशी बनाया गया। फिर अखिलेश ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर चुनाव लड़ाया। ये चुनाव वे हार गए। इस चुनाव में भी उन्होंने दावेदारी की। पिछले एक साल से वह छर्रा विधानसभा क्षेत्र में गांव-गांव घूमकर समर्थन जुटा रहे थे। उधर, लक्ष्मी धनगर भी प्रचार-प्रसार में लगी हुई थीं। रविवार को लक्ष्मी काे प्रत्याशी घोषित करने के पार्टी हाईकमान के फैसले से राकेश समर्थक सतके में आ गए। कई जगह विरोध भी हुआ था। इंटरनेट मीडिया पर विरोध की तस्वीरें वायरल हुईं। पार्टी पदाधिकारी हाईकमान के फैसले के सम्मान की अपील करने लगे।

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