'यारा ' के लिए ढाई साल रखी दाढ़ी, स्वर्णमंदिर में रहकर सीखी पंजाबी

अपने बनाए रास्ते से जब मंजिल हासिल की जाती है तो उसका अहसास उतना ही सुखद और फल उतना ही मीठा होता है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 08:38 AM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 02:56 PM (IST)
'यारा ' के लिए ढाई साल रखी दाढ़ी, स्वर्णमंदिर में रहकर सीखी पंजाबी
'यारा ' के लिए ढाई साल रखी दाढ़ी, स्वर्णमंदिर में रहकर सीखी पंजाबी

अलीगढ़ [संतोष शर्मा]: अपने बनाए रास्ते से जब मंजिल हासिल की जाती है तो उसका अहसास उतना ही सुखद और फल उतना ही मीठा होता है। कुछ ऐसा ही कारनामा एएमयू के पूर्व कुलपति जमीर उद्दीन शाह के बेटे मेजर मोहम्मद अली शाह ने किया है। 30 जुलाई को रिलीज हुई 'याराÓ फिल्म के लिए तो उन्होंने समर्पित कलाकार होने की मिसाल ही कायम कर दी। फिल्म में सिख सिपाही जसजीत सिंह के रोल में ढलने के लिए वह एक माह स्वर्ण मंदिर में रहे। पंजाबी सीखी। सेवा की और दाढ़ी -मूंछ बढ़ाकर सरदार जैसा हुलिया बनाया। इसके बाद पूरी फिल्म बनने के दौरान ढाई साल तक वह सिख सरदार के ही वेष में रहे। फिल्म में उनके रोल को काफी सराहा जा रहा है।

चार गैंगेस्टर की कहानी है फिल्म यारा फिल्म

यारा फिल्म चार गैंगेस्टर की कहानी है। गैैंगेस्टर की भूमिका विद्युत जामवाल, अमित साध, विजय वर्मा व केनी बासुमातरी ने निभाई है। अभिनेत्री श्रुति हसन हैैं। सिख सिपाही की भूमिका मेजर मोहम्मद अली शाह ने निभाई है। अली शाह बताते हैैं कि  निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ने  सिपाही जसजीत सिंह के रोल के लिए स्क्रिप्ट दी तो उसे लेकर वह कार्यालय से 20 मीटर दूर एक पेड़ के नीचे चले गए और वहीं पढ़ कई निर्णय ले डाले। सिख सरदार सिपाही के रोल में ढलने के लिए उसी दिन ट्रेन से अमृतसर के लिए रवाना गए। वहां स्वर्ण मंदिर में अपना ठिकाना बनाया। सिखों की संस्कृति में ढलने के लिए सेवादारों की टोली में शामिल हुए। बर्तन साफ किए, झाडू लगाई, सब्जी काटी। पगड़ी बांधने से लेकर पंजाबी बोलना तक सीखा। इसके बाद इस रोल को किया। फिल्म देख चुके पंकज आर्य ने अली शाह के रोल को काफी सराहा है। एक अन्य दर्शक अर्जुन तोमर ने बताया कि अली शाह का किरदार पूरी फिल्म को बांधे रखता है। उनकी मेहनत पर्दे पर दिखती है।  


चाचा नसीरुद्दीन शाह से एक्टिंग सीखी, मदद नहीं ली
अली शाह मूलरूप से मेरठ के सरधना के रहने वाले हैं। उनके चाचा नसीरुद्दीन शाह बड़े एक्टर हैं। अली शाह ने बताया कि चाचा से कला तो सीखी लेकिन कभी काम नहीं मांगा। जीवन में जो भी संघर्ष किया, अपने दम पर किया। इससे पहले एजेंट विनोद, हैदर व बजरंगी भाई जान में रोल किया है।

विफलताएं मिली पर हिम्मत नहीं हारी

2001 में अली शाह दिल्ली के नेशनल ड्रामा स्कूल की प्रवेश परीक्षा में नाकाम रहे, लेकिन ड्रामा करना नहीं छोड़ा। एक साल तैयारी कर फिर परीक्षा दी, फिर भी सफलता नहीं मिली। तब जामिया मिलिया इस्लामिया से मास कम्युनिकेशन किया। 2002 में यूपीएससी के जरिए कंबाइंड डिफेंस सर्विसेस (सीडीएस) की परीक्षा पास कर सेना में मेजर बने। जहां पांच साल सेवा की। ड्रामा का शौक फिर भी नहीं छूटा। यही शौक उन्हें फिल्मों की ओर ले गया।

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