काउंसलिंग से पहले डिग्री बनवाने को विश्वविद्यालय पहुंची छात्रों की भीड़

शारीरिक दूरी के नियम की उड़ी धज्जिया विभागों के चक्कर काटते रहे छात्र

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 08:00 AM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 08:00 AM (IST)
काउंसलिंग से पहले डिग्री बनवाने को विश्वविद्यालय पहुंची छात्रों की भीड़
काउंसलिंग से पहले डिग्री बनवाने को विश्वविद्यालय पहुंची छात्रों की भीड़

आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आबेडकर विश्वविद्यालय में मंगलवार को हर विभाग में काफी संख्या में छात्र पहुंचे। यह छात्र दो दिसंबर से शुरू हो रही शिक्षक भर्ती काउंसलिंग से पहले अपने डिग्री और अंकतालिकाएं लेने के लिए विश्वविद्यालय पहुंचे थे। शारीरिक दूरी के नियम की धज्जियां उड़ाते हुए यह छात्र विभागों के चक्कर काटते दिखे।

वैसे तो विश्वविद्यालय में डिग्री की आस के साथ पहुंचने वाले छात्रों की संख्या काफी है, पर पिछले कुछ दिनों में छात्रों की संख्या में और इजाफा हुआ है। शासन द्वारा शिक्षक भर्ती की दूसरी काउंसलिंग दो दिसंबर से शुरू की जा रही है। काउंसलिंग में अपने कागजात दिखाने के लिए छात्र मंगलवार को पूरा दिन विश्वविद्यालय में घूमते रहे। शिकोहाबाद की अंजलि की एक ही दिन में अपनी बीए की तीनों सालों की अंकतालिकाएं बनवाने के लिए चक्कर काटती दिखी तो मैनपुरी के राजेश सिंह अपनी 2015 की बीएड डिग्री के लिए आनलाइन विभाग के बाहर भीड़ में खड़े रहे। शाम पाच बजे तक हर विभाग में छात्रों की भीड़ रही। ताजनगरी के बच्चों को भी मिलेगा 'ईशान अवस्थी' जैसा मार्गदर्शन

आगरा, जागरण संवाददाता। तारे जमीं पर फिल्म का ईशान अवस्थी याद है, जिसे डिस्लेक्सिया था। शुरुआत में उसकी परेशानी किसी को समझ नहीं आई थी, पर एक शिक्षक ने उसकी परेशानी को समझा और सही मार्गदर्शन दिया। ऐसा ही सही मार्गदर्शन अब शहर के हर उस बच्चे को दिया जाएगा, जिसे यह परेशानी है। सेंट जोंस कालेज में डायग्नोस्टिक एंड काउंसिलिंग सेंटर फार लìनग डिसएबिलिटी की शुरुआत होने जा रही है। इस सेंटर में डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों की काउंसिलिंग और इलाज किया जाएगा। सेंटर का उद्घाटन तीन दिसंबर को कुलपति प्रो. अशोक मित्तल करेंगे। इस सेंटर को शुरू करने में रोटरी क्लब ने सहयोग दिया है। प्राचार्य डा. एसपी सिंह ने बताया कि 10 फीसद बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें यह परेशानी होती है लेकिन कोई भी इन बच्चों की परेशानी को नहीं समझता। इसके विपरीत इन्हें नासमझ और पढ़ाई में कमजोर समझा जाता है। स्कूलों में संपर्क किया जाएगा, ऐसे बच्चों की तलाश की जाएगी। रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उसके बाद इस सेंटर में उनकी काउंसिलिंग और इलाज किया जाएगा। पढ़ने और लिखने में आने वाली उनकी दिक्कतों को दूर किया जाएगा।

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