महाकवि नीरज को श्रद्धांजलि देने उमड़ीं विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां

महाकवि गोपालदास नीरज के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में शहरवासी पहुंचे। कई नेताओं और कवियों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Sat, 21 Jul 2018 09:41 PM (IST) Updated:Sat, 21 Jul 2018 09:41 PM (IST)
महाकवि नीरज को श्रद्धांजलि देने उमड़ीं विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां
महाकवि नीरज को श्रद्धांजलि देने उमड़ीं विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियां

आगरा (जेएनएन)। महाकवि गोपालदास नीरज के पार्थिव शरीर को शनिवार सुबह आठ बजे दिल्ली एम्स से आगरा में बल्केश्वर के सरस्वती नगर स्थित उनकी स्वर्गीय पत्नी मनोरमा शर्मा के आवास पर लाया गया। महाकवि के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में शहरवासी पहुंचे। कई नेताओं और कवियों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पद्मभूषण कवि नीरज का निधन गुरुवार को एम्स दिल्ली में हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को आज सुबह बल्केश्वर के सरस्वती नगर स्थित आवास पर लाया गया। अंतिम दर्शन करने वालों में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सपा नेता शिवपाल यादव, एससी आयोग अध्यक्ष सांसद रामशंकर कठेरिया, वरिष्ठ कवि उदय प्रताप, सुरेंद्र शर्मा, अरुण जैमिनी, कुमार विश्वास, तेजनारायण बेचैन आदि शामिल रहे। सुबह 11 बजे उनके पार्थिव शरीर को वापस एंबुलेंस में रखा गया। अंतिम यात्रा शुरू हुई तो हर आंख नम हो उठी। 

रथ का नहीं हुआ उपयोग

कवि सम्मेलन समिति ने अपने संरक्षक नीरज को भावभीनी विदाई देने की योजना बनाई थी। इसके लिए डीसीएम को रथ के रूप में तैयार कराया गया था। समिति की इच्छा बल्केश्वर स्थित आवास से वाटर वक्र्स तक रथ में नीरज जी को ले जाने की थी। मगर अलीगढ़ से आए उनके बेटे मिलन प्रभात के आग्रह पर सादगी के साथ नीरज की पार्थिव देह एंबुलेंस से अलीगढ़ ले जाई गई। 

इटावा में बनवाएंगे स्मारक : अखिलेश

पद्मभूषण महाकवि गोपालदास नीरज को श्रद्धांजलि देने आगरा आए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जब कभी समाजवादियों को मौका मिलेगा तो इटावा में उनकी स्मृति में लॉयन सफारी जैसा कुछ बड़ा बनवाया जाएगा। इससे लोगों को यह जानने का मौका मिल सकेगा कि नीरज इसी मिट्टी की पैदाइश थे और किस ऊंचाई तक पहुंचे। सरस्वती नगर, बल्केश्वर स्थित आवास पर शनिवार सुबह मीडिया से रूबरू अखिलेश यादव ने कहा कि गोपालदास नीरज अपनी रचनाओं, कविताओं, लेखनी और साहित्य में योगदान और एक अच्छे इंसान के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। 

कवियों की टोली का चला गया सरदार

अलीगढ़ में महाकवि नीरज को अंतिम विदाई देने के लिए शनिवार को कवियों की टोली भी उनके आवास जनकपुरी व अंत्येष्टि स्थल पर पहुंची। हर आंख नम थी और हृदय दुखी। हर कोई गुरुकवि के अंतिम दर्शन के लिए बेचैन था। दूरदराज से नामचीन कवि व साहित्यकार भी आए। सभी ने अपनी टोली के बड़े सरदार की अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया और श्रद्धांजलि दी। प्रसिद्ध गीतकार कुंवर बेचैन ने तहा कि नीरज का चले जाना मंचीय परंपरा पर बड़ा आघात है। वे सिद्धकवि थे। अकेलापन उन्हें कचोटता था, इसका एहसास उनकी कविता में झलकता है। प्रेम शाश्वत है और नीरज की कविता में परिलक्षित भी होता है। हास्य कवि सर्वेश अस्थाना ने कहा कि मेरा नीरजजी से 28 साल का नाता है। मुझे उन्होंने ही आगे बढ़ाया। उनसे ज्ञान व मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। मैंने एक सच्चा गुरु व शिक्षक खो दिया। उनके निधन से बेहद दुखी हूं। गीतकार विष्णु सक्सेना ने कहा कि दुखद घड़ी है। मेरे पास दुख व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैैं। नीरजजी के जाने के बाद मंच निष्प्राण हो गए हैं। मैं पहले से ही निष्प्राण हूं। इस नुकसान को कोई पूरा नहीं कर पाएगा।  

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