पार्टी में खींचतान पर बोले टंडन- लड्डू एक और खाने वाले कई तो इसे गुटबाजी नहीं कह सकते

संजय टंडन ने अपने दस वर्ष के कार्यकाल पर संतुष्टि जताई। उन्होंने कहा कि अब पार्टी तय करेगी कि आगे उनका किस तरह से प्रयोग करना है।

By Edited By: Publish:Wed, 15 Jan 2020 11:51 PM (IST) Updated:Thu, 16 Jan 2020 09:11 AM (IST)
पार्टी में खींचतान पर बोले टंडन- लड्डू एक और खाने वाले कई तो इसे गुटबाजी नहीं कह सकते
पार्टी में खींचतान पर बोले टंडन- लड्डू एक और खाने वाले कई तो इसे गुटबाजी नहीं कह सकते

चंडीगढ़, जेेएनएन। भाजपा के चंडीगढ़ अध्यक्ष संजय टंडन ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से ऐन पहले बुधवार को पार्टी कार्यालय पर प्रेसवार्ता की। उन्होंने अपने दस साल के कार्यकाल से जुड़े सियासी अनुभवों को साझा किया। पार्टी की गुटबाजी के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब लड्डू एक हो और खाने वाले कई तो इसे गुटबाजी नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कभी पार्टी में गुटबाजी को बढ़ावा नहीं दिया। साथ ही, सदा पार्टी के सीनियर नेताओं का आदर किया है।

टंडन से कहा कि अब भाजपा हाईकमान तय करेगा कि उन्हें पार्टी में नया दायित्व क्या सौंपा जाए। टंडन ने अपने दस साल के कार्यकाल पर संतुष्टि जताई। उन्होंने कहा कि दस साल पहले पार्टी के 12 हजार सदस्य थे, आज 90 हजार हैं। इन दस वर्षों में भाजपा ने नगर निगम, सांसद, पंचायत समिति, जिला परिषद और मार्केट कमेटी का हर चुनाव जीता। अध्यक्ष बनने पर उन्होंने घर बैठ चुके नेताओं और परिवार को पार्टी से जोड़ने का काम किया। पार्टी में उनका भावी दायित्व क्या होगा? इस पर उनका कहना था कि भाजपा ऐसी पार्टी है, जहां मांगने से कुछ नहीं मिलता। पार्टी तय करेगी कि उनका किस तरह से प्रयोग करना है।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हो सकते हैं टंडन

चर्चा है कि पार्टी अब टंडन को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल कर सकती है। संजय टंडन ने कहा कि उन्होंने तो उन लोगों को भी पार्षद का टिकट दिलाया, जिन्होंने उन्हें कभी गाली दी थी। लोकसभा चुनाव में हाईकमान की ओर से उम्मीदवार न बनाए जाने के सवाल पर टंडन ने कहा कि पार्टी मां के बराबर है। मां के साथ कभी हिसाब नहीं किया जा सकता। राजनीतिक में आज वह जिस मुकाम पर है, वह पार्टी की देन है।

धवन के आने का पार्टी को मिला फायदा

संजय टंडन ने कहा कि साल 2010 में पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन को पार्टी में शामिल करवाने का फायदा मिला क्योंकि उस समय के तत्कालीन अध्यक्ष ने कहा था कि पार्टी का दस प्रतिशत वोट बैंक बढ़ाया जाए। धवन बेशक पिछले चुनाव में पार्टी छोड़कर चले गए लेकिन जो कार्यकर्ता और नेता धवन के साथ भाजपा में आए थे वे नहीं लौटे। मालूम हो कि जब तक धवन भाजपा में रहे, उनका टंडन के साथ विवाद चलता रहा। टंडन ने यह भी कहा कि अगर धवन पार्टी के प्रति निष्ठावान रहते और बयानबाजी न करते तो पार्टी की ओर से उन्हें किसी न किसी प्रदेश का राज्यपाल जरूर बना दिया जाता।

नए अध्यक्ष के लिए सलाह, दोस्ती बचा लेना

संजय टंडन ने पार्टी के नए अध्यक्ष के बारे में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चंडीगढ़ के नए अध्यक्ष उनसे भी ज्यादा अच्छा काम करेंगे। उन्होंने कहा कि नए अध्यक्ष के लिए उनकी यही सलाह है कि दोस्तों के साथ बहस में हार जाने के बाद भी दोस्ती बचा लेना बड़ी समझदारी है। समझदार व्यक्ति वहीं है, जो जवाब होने के बावजूद चुप रहता है। रिश्ता कायम रखने के लिए कई बार चुप रहना पड़ता है। टंडन ने यह सलाह नए बनने वाले अध्यक्ष को दी है।

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