Delhi Assembly Elections Result: सिख बहुल सीटों पर आप को मिले ज्यादा वोट

Delhi Assembly Elections Result आम आदमी पार्टी को सिख बहुत क्षेत्रों में ज्यादा वोट मिले। यहां भाजपा व अकाली दल की तल्खी का असर दिखा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Wed, 12 Feb 2020 12:39 PM (IST) Updated:Thu, 13 Feb 2020 08:56 AM (IST)
Delhi Assembly Elections Result: सिख बहुल सीटों पर आप को मिले ज्यादा वोट
Delhi Assembly Elections Result: सिख बहुल सीटों पर आप को मिले ज्यादा वोट

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर उभरी दरार मतदान तक नहीं भर सकी। ऊपर-ऊपर से बेशक शिअद के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने भाजपा को समर्थन देने का एलान किया हो, लेकिन मनमाफिक सीटें बढ़ाने की कसक दिल में साफ रह गई।

सभी सिख बहुल सीटों पर भाजपा से ज्यादा आम आदमी पार्टी को वोट मिलने से साफ है कि सिख समुदाय ने भाजपा का साथ नहीं दिया। दिल्ली शिरोमणि गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा अपनी सीट पर भाजपा को जीत का स्वाद नहीं चखा पाए। वे पिछली बार भाजपा की टिकट पर विधायक बने थे। यहां से आम आदमी पार्टी को 54256 वोट मिले। 

यही हाल हरीनगर सीट का रहा। यहां से आम आदमी पार्टी की राजकुमारी ढिल्लों को 58 हजार वोट मिले। तिलकनगर की सीट को जरनैल सिंह बचाने में कामयाब रहे। इसी तरह कालका जी से भी आतिशी को इस बार सफलता मिली। शुरु में पिछड़ती दिख रहीं आतिशी ने 11 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की।

CAA पर बढ़ी थी शिअद-भाजपा में तल्खी

शिअद-भाजपा में चुनावी गठजोड़ उस समय टूट गया था, जब भाजपा ने शिअद से CAA के समर्थन में बयान देने को कहा। संसद में शिअद ने भले ही बेशक CAA का समर्थन किया, लेकिन बाहर वह कहते रहे कि इसमें मुस्लिमों को भी शामिल किया जाए। पंजाब विधानसभा में भी CAA के खिलाफ कांग्रेस सरकार प्रस्ताव लाई, तब भी अकाली दल ने अपना वही रुख अपनाया। भाजपा इस रुख से नाराज थी।

उन्होंने अकाली दल से कहा कि अपना बयान वापस ले और CAA के समर्थन में बयान दे, क्योंकि पार्टी का नुकसान हो रहा है। ऐसा न करने के चलते गठबंधन टूट गया। इसके बावजूद शिअद ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अगुवाई में हुई मीटिंग में भाजपा को समर्थन देने का एलान किया था। दिल्ली शिरोमणि अकाली दल से अलग हुए मनजीत सिंह जीके ने भी भाजपा को समर्थन देने का एलान किया था, लेकिन नतीजा उलट ही आया। 

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