वीके सिंह का बड़ा सवाल, 2012 के बाद क्यों बिगड़े कश्मीर के हालात?

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के पिंगलिना इलाके में रविवार देर रात शुरू हुई आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ सोमवार सुबह भी जारी रही। इस मुठभेड़ में एक मेजर समेत सेना के चार जवान शहीद हो गए।

By Tilak RajEdited By: Publish:Tue, 19 Feb 2019 09:16 AM (IST) Updated:Tue, 19 Feb 2019 09:16 AM (IST)
वीके सिंह का बड़ा सवाल, 2012 के बाद क्यों बिगड़े कश्मीर के हालात?
वीके सिंह का बड़ा सवाल, 2012 के बाद क्यों बिगड़े कश्मीर के हालात?

नई दिल्‍ली, एएनआइ। कश्‍मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। इस बीच सोमवार को पुलवामा में ही हुए एनकाउंटर में सेना के चार और जवाब शहीद हो गए। इस बीच पूर्व सेनाध्यक्ष और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि कश्मीर का मुद्दा सरल नहीं है। यह छद्म युद्ध का मुद्दा है। वीके सिंह ने सवाल उठाया कि 2012 के बाद कश्‍मीर में आतंकी घटनाओं में वृद्धि का क्या कारण है?

कहा जा रहा है कि जम्‍मू-कश्‍मीर के हालात अब काफी खराब हो गए हैं। लेकिन वीके सिंह कहा, 'कश्मीर का मुद्दा आसान नहीं है, यह छद्म युद्ध है। इसमें कई चीजें पहले की जानी चाहिए थीं। देखिए, एक घटना की वजह से किसी पॉलिसी को सफल या असफल नहीं मानना चाहिए। एक एनकाउंटर में अधिकारी और 3 जवानों की मौत हो गई, इसका मतलब यह नहीं है कि हालात खराब हैं।'

कश्‍मीरी युवाओं को लेकर वीके सिंह से ने कहा, 'युवा पहले भी लगे हुए हैं, भविष्य में भी लगे रहेंगे। कश्मीर में कई काम किए जाने की आवश्यकता है और कई काम किए जा रहे हैं। कुछ सफल हुए हैं, कुछ नहीं। मैं सकारात्मक हूं कि सरकार सुनिश्चित कर रही है कि इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से देखा जाए। कुछ युवाओं को पत्थर फेंकने के लिए भुगतान किया जा रहा है! कुछ युवा एक वाहन के शीर्ष पर खड़े होकर चिल्‍लाते हैं- 'हम क्या चाहते आजादी', ये लोग कश्मीर के पूरे युवाओं की भावना को नहीं दर्शाते हैं। एक बड़ी राशि (काम की) वहां की जा रही है और हां अधिक की जा सकती है।'

वीके सिंह विपक्षियों की ओर इशारा करते हुए कहा, 'यही दक्षिण कश्मीर 2005-2012 में बहुत शांतिपूर्ण था। 2012 के बाद घटनाओं में वृद्धि का क्या कारण है। क्या आपने इसका विश्लेषण किया है? ऐसा क्यों हुआ? एक गठबंधन सरकार बाद में आई, जहां एक पार्टी को घाटी में अधिक समर्थन मिला, दूसरे को जम्मू में अधिक समर्थन मिला। पूर्व की नीतियों का विश्लेषण करना आवश्यक है। यह देखा जाना चाहिए कि क्या नीतियां एक समग्र विफलता थी या कुछ की गलतियों ने बढ़ावा दिया (आतंकवादियों को)।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के पिंगलिना इलाके में रविवार देर रात शुरू हुई आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ सोमवार सुबह भी जारी रही। इस मुठभेड़ में एक मेजर समेत सेना के चार जवान शहीद हो गए। लेफ्टिनेंट कर्नल, एक मेजर और डीआइजी रेंक के एक पुलिस अधिकारी सहित पांच सुरक्षाकर्मियों के जख्मी होने की भी सूचना है। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। शहीद जवान 55 राष्ट्रीय राइफल्स के थे। जो जवान इस मुठभेड़ में शहीद हुए हैं उनमें मेजर वीएस डोंडियाल, हवलदार शिवराम, सिपाही अजय कुमार और सिपारी हरि सिंह शामिल हैं। वहीं, मठभेड़ के दौरान क्रास फायरिंग की चपेट में आने से एक नागरिक भी मारा गया।

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