Maharashtra Govt Formation: भाजपा का साथ छोड़कर भी शिवसेना के 'हाथ' खाली, राज्यपाल ने अब राकांपा को बुलाया

भाजपा का साथ छोड़कर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा करने राजभवन पहुंचे शिवसेना नेताओं को खाली हाथ लौटना पड़ा।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 02:19 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 07:11 AM (IST)
Maharashtra Govt Formation: भाजपा का साथ छोड़कर भी शिवसेना के 'हाथ' खाली, राज्यपाल ने अब राकांपा को बुलाया
Maharashtra Govt Formation: भाजपा का साथ छोड़कर भी शिवसेना के 'हाथ' खाली, राज्यपाल ने अब राकांपा को बुलाया

राज्य ब्यूरो, मुंबई। भाजपा का साथ छोड़कर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा करने राजभवन पहुंचे शिवसेना नेताओं को खाली 'हाथ' लौटना पड़ा क्योंकि उसे कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के समर्थन का पत्र निर्धारित अवधि तक नहीं मिल सका। इस प्रकार शिवसेना के नेतृत्व में 'महाशिवआघाड़ी' का सरकार बनाने का सपना धूमिल पड़ता दिखाई देने लगा है।

राज्यपाल ने शिवसेना को नहीं दिया और वक्त, अब राकांपा को बुलाया

अब राज्यपाल ने तीसरी बड़ी पार्टी राकांपा के विधायक दल नेता अजीत पवार को सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया है। राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक के अनुसार राजभवन के प्रस्ताव पर उनकी पार्टी कांग्रेस से चर्चा के बाद निर्णय करेगी।

शिवसेना नेताओं को निराश होकर राजभवन से लौटना पड़ा

शिवसेना विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे को राजभवन से सरकार बनाने का न्योता रविवार शाम को मिला था। पत्र में सोमवार शाम 7.30 बजे तक उन्हें सरकार बनाने लायक विधायकों की संख्या के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करने को कहा गया था। तदनुसार शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे एवं विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ 6.45 बजे राजभवन पहुंचे। उन्हें उम्मीद थी कि 7.30 बजे तक राजभवन के फैक्स या मेल पर कांग्रेस और राकांपा के समर्थन पत्र पहुंच जाएंगे। लेकिन 45 मिनट तक राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के साथ बैठे रहे शिवसेना नेताओं को निराश होकर राजभवन से लौटना पड़ा क्योंकि निर्धारित अवधि तक न तो कांग्रेस का पत्र राजभवन पहुंचा, न ही राकांपा का।

राकांपा की शर्त के मुताबिक शिवसेना के इकलौते केंद्रीय मंत्री ने दिया इस्तीफा

राकांपा की शर्त के मुताबिक राजग गठबंधन से बाहर हो चुकी, अपने केंद्रीय मंत्री डॉ. अरविंद सावंत से इस्तीफा दिलवा चुकी और चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद से ही भाजपा के अलावा भी 'विकल्प' उपलब्ध होने का दावा करती आ रही शिवसेना को मुंह की खानी पड़ी।

तय समय पर राजभवन नहीं पहुंचा कांग्रेस-राकांपा का समर्थन पत्र

राजभवन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, 'शिवसेना समर्थन का जरूरी पत्र नहीं जमा कर सकी। उसने तीन दिन का समय और मांगा था।' राज्यपाल से मिलकर बाहर निकले आदित्य ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें और समय देने से इन्कार कर दिया है, लेकिन मेरे दावे को खारिज नहीं किया।

उद्धव ने की पवार से मुलाकात

शिवसेना ने रविवार शाम राजभवन से सरकार बनाने का निमंत्रण मिलने के साथ ही कांग्रेस-राकांपा नेताओं से संपर्क तेज कर दिया था। राकांपा नेता शरद पवार से शिवसेना नेता संजय राउत पहले ही कई मुलाकातें कर चुके हैं। सोमवार को शरद पवार से मुंबई के एक पंचसितारा होटल में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की भी मुलाकात हुई। वहां से उद्धव मुस्कुराते हुए बाहर आए तो लगा कि उन्हें राकांपा के समर्थन का पक्का आश्वासन मिल गया है। सोनिया गांधी ने सोमवार शाम शरद पवार से फोन पर बात की, लेकिन शिवसेना को समर्थन पत्र नहीं भेजा।

कांग्रेस-राकांपा को भी होगी शिवसेना की जरूरत

कांग्रेस के 44 और राकांपा के 54 विधायकों को मिलाकर संख्या 98 ही होती है। जबकि बहुमत सिद्ध करने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है। जाहिर है, अब राकांपा सरकार बनाना चाहे तो उसे शिवसेना के 56 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। देखना यह है कि राजभवन से खाली हाथ लौटी शिवसेना राकांपा-कांग्रेस को सरकार बनाने में मदद करती है या नहीं।

भाजपा 'देखो और इंतजार करो' की नीति पर

भाजपा कोर कमेटी की सोमवार को हुई बैठक में राजनीतिक हालात पर फिलहाल 'देखो और इंतजार करो' की नीति पर चलने का फैसला किया गया। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने बताया, 'भाजपा कोर कमेटी महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रख रही है। हम सही फैसला करेंगे।'

35 साल पहले बाल ठाकरे ने थामा था भाजपा का हाथ

- 1984 में तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने भाजपा के तत्कालीन शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ गठबंधन किया था।

- तब पहली बार शिवसेना प्रत्याशियों ने भाजपा के टिकट पर ही चुनाव लड़ा था।

- 1989 में दोनों दलों के बीच औपचारिक गठबंधन हुआ था।

- 1995 से 1999 तक शिवसेना के दो मुख्यमंत्री मनोहर जोशी व नारायण राणे सत्ता में रहे।

- 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा-शिवसेना में खटास इतनी बढ़ गई थी कि दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। हालांकि नतीजों के बाद दोनों दल साथ आ गए थे।

दिनभर मुंबई से दिल्ली तक 'महा'उठापटक

- शिवसेना नेता अरविंद सावंत का केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा।

- उद्धव ठाकरे ने शरद पवार से की मुलाकात।

- कांग्रेस की दिल्ली में सुबह और शाम को दो बार बैठकें।

- सोनिया गांधी से की उद्धव ठाकरे ने फोन पर चर्चा।

- सोनिया ने जयपुर में रखे गए महाराष्ट्र के पार्टी विधायकों से चर्चा की।

- आदित्य ठाकरे और एकनाथ शिंदे शाम 6.45 बजे राज्यपाल से मिलने पहुंचे।

- रात करीब नौ बजे अजीत पवार राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे।

कोट :-

राकांपा अपने सहयोगियों के साथ इस मुद्दे पर विचार करेगी और मंगलवार शाम 8.30 बजे तक राज्यपाल से मिलेगी- जयंत पाटिल, महाराष्ट्र राकांपा अध्यक्ष।

शिवसेना का सरकार बनाने का दावा अभी बरकरार है क्योंकि दोनों पार्टियां (कांग्रेस-राकांपा) सैद्धांतिक रूप से शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करने के लिए राजी हैं। हम सरकार बनाने का अपना प्रयास जारी रखेंगे- आदित्य ठाकरे, शिवसेना नेता।

- दलीय स्थिति -

कुल सीटें : 288

बहुमत : 145

भाजपा : 105

शिवसेना : 56

राकांपा : 54

कांग्रेस : 44

अन्य : 29

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