प्रभु जगन्नाथ के रथ का निर्माण शुरू

जगन्नाथ संस्कृति के अनुसार हर साल महाप्रभु जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ रथ पर सवार होकर मौसी मां के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचते हैं ।

By BabitaEdited By: Publish:Thu, 19 Apr 2018 01:06 PM (IST) Updated:Thu, 19 Apr 2018 01:07 PM (IST)
प्रभु जगन्नाथ के रथ का निर्माण शुरू
प्रभु जगन्नाथ के रथ का निर्माण शुरू

राउरकेला, जेएनएन। सेक्टर-3 अहिराबंध जगन्नाथ मंदिर समेत शहर व आसपास के ढाई दर्जन से अधिक जगन्नाथ मंदिरों में अक्षय तृतीया पर महाप्रभु की रथयात्रा को लेकर रथ का निर्माण कार्य शुरू किया गया। बुधवार को सुबह विधि पूर्वक मंदिर के दक्षिण द्वार पर रथ में प्रयुक्त होने वाली लकड़ी रखी गयी एवं पुरोहित, सेवायत समेत कमेटी के लोगों की मौजूदगी में पूजा अर्चना की गयी।

इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। जगन्नाथ संस्कृति के अनुसार हर साल महाप्रभु जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ रथ पर सवार होकर  मौसी मां के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचते हैं एवं यात्रा मार्ग में भक्तों को दर्शन देते हैं। इस वर्ष स्नान पूर्णिमा 28 जून को तथा रथयात्रा 14 जुलाई को होगी। इससे पूर्व भगवान के रथ का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। शहर के सबसे बड़े जगन्नाथ मंदिर सेक्टर-3 में श्रीश्री जगन्नाथ वैद्यनाथ महाप्रभु मंदिर ट्रस्ट की ओर से रथ की लकड़ी की पूजा की गई। सुबह पूजक त्रिनाथ पाढ़ी ने रथ निर्माण के लिए महाप्रभु का आज्ञामाला पूजा स्थल तक लाया गया।

दक्षिण द्वार में भाई बलभद्र के रथ तालध्वज, प्रभु जगन्नाथ के रथ नंदीघोष एवं सुभद्रा के रथ दर्प दलन के लिए अलग अलग लकड़ी रखकर पुरोहित परमेश्वर पति व मंटू पंडा ने पूजा-अर्चना की। रथ निर्माण की जिम्मेदारी भिखारी स्वाईं एवं डमरू महाराणा को दी गई हैं। इस मौके पर कमेटी के अध्यक्ष गिरजाशंकर द्विवेदी, ट्रस्टी रजत चौधरी, कृष्ण चंद्र पटनायक, मित्रभानू पंडा, सुशांत त्रिपाठी, सेवायत किशोर चंद्र नायक, भागीरथी पंडा, श्रीधर बारिक, कृष्ण चंद्र साहू, हाड़ीबंधु पंडा, पांडव चरण स्वाईं प्रमुख उपस्थित रहे। इसी तरह हनुमान वाटिका, कोयलनगर, झीरपानी, उदितनगर पंच मंदिर, बसंती कॉलोनी, पानपोष, छेंड, प्लांट साइट समेत आसपास के 29 जगन्नाथ मंदिरों में रथ निर्माण के लिए विधि पूर्वक पूजा अर्चना की गयी।

जगन्नाथ मंदिर में चंदन यात्रा

सेक्टर-3 स्थित जगन्नाथ मंदिर में अक्षय तृतीया के दिन से चंदन यात्रा शुरू हुई। शाम साढ़े सात बजे से पुष्कर पर गोपाल, भू-देवी, श्रीदेवी को नौका पर विराजमान कर विहार कराया गया। यह कार्यक्रम यहां 21 दिनों तक चलेगा। इस मौके पर हर दिन अलग अलग कार्यक्रम आयोजित होंगे। भजन कीर्तन का कार्यक्रम भी यहां होगा।

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