कोणार्क सूर्य मंदिर के गर्भगृह से 119 साल बाद निकाला जाएगा बालू, 1903 में ब्रिटिश सरकार ने भरा था

Konark Sun Temple 1903 में सूर्य मंदिर के अग्रभाग की स्थिति और ऊपरी हिस्से से पत्थर खिसकते देख ब्रिटिश सरकार ने गर्भ गृह को रेत से भर दिया। गर्भ की सुरक्षा के लिए 2010 में कोणार्क में एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Fri, 09 Sep 2022 09:46 AM (IST) Updated:Fri, 09 Sep 2022 09:47 AM (IST)
कोणार्क सूर्य मंदिर के गर्भगृह से 119 साल बाद निकाला जाएगा बालू, 1903 में ब्रिटिश सरकार ने भरा था
Konark Sun Temple: 119 साल के लंबे समय के बाद इस ऐतिहासिक धरोहर से रेत हटाई जाएगी।

भुवनेश्वर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। बालू मुक्त होगा कोणार्क का सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple) और इसी के साथ सूर्य मंदिर का आकार बदल जाएगा। 119 साल के लंबे समय के बाद इस ऐतिहासिक धरोहर से रेत हटाई जाएगी। इस कार्य को 3 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न हो इसके लिए आज कोणार्क सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना की जा रही है।

एएसआई के एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत सूर्य मंदिर के गर्भगृह से बालू निकालने के लिए पहले चरण में एक निजी कंपनी, बीडीआर कंस्ट्रक्शन संस्थान इसके लिए मेकेनिकल वर्किंग प्लेटफार्म तैयार करेगी। इस प्लेटफॉर्म पर लिफ्ट और ट्रॉली जैसे मैकेनिकल सिस्टम के जरिए गर्भगृह से रेत और पत्थर निकाले जाएंगे।

दूसरे चरण में एएसआई पश्चिम द्वार के दूसरे स्तंभ के पास 4 फीट चौड़ी और 5 फीट ऊंचा रास्ता बनाकर गर्भगृह से बालू निकालेगा। एएसआई अधिकारी बीडीआर कंपनी के तकनीकी सहयोग से अगले 3 वर्षों के गर्भगृह के भीतर से रेत हटाने की योजना बना रहे हैं।

1903 में ब्रिटिश सरकार ने भरा था रेत

गौरतलब है कि 1903 में, सूर्य मंदिर के अग्रभाग की स्थिति और ऊपरी हिस्से से पत्थर खिसकते देख ब्रिटिश सरकार ने गर्भ गृह को रेत से भर दिया। इसके साथ ही सभी दरवाजे बंद कर दिए गए। इस बीच 119 साल बीत चुके हैं।

ऐसे में मंदिर के गर्भ की सुरक्षा के लिए 2010 में कोणार्क में एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इसमें भाग लेने वाले कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वास्तुकार एवं इंजीनियरों ने गर्भगृह से रेत हटाने का सुझाव दिया था।

पहले ही हो जाना चाहिए था ये काम

इसी तरह से 2015 में गर्भगृह की आंतरिक स्थिति में क्या बदलाव आया है? इसका पता लगाने के लिए रुड़की स्थित सेंटर फॉर बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआर) ने पहले चरण में जीपीआरएस, लेजर स्कैनिंग और एंडोस्कोपी की और एएसआई को अपनी रिपोर्ट प्रदान की थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि मुखशाला गर्भगृह के बीच रहने वाली रेत 17 फीट दबने के साथ ही पत्थरों के खिसकने की बात कही गई थी। हाईकोर्ट ने भी सूर्य मंदिर की सुरक्षा को लेकर एएसआई की भूमिका पर सवाल उठाया था।

इस बीच एएसआई ने जहां आज बालू हटाने की प्रक्रिया शुरू की है वहीं इतिहासकार अनिल धीर का मानना ​​है कि यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था।

उधर, कोणार्क सुरक्षा समिति समेत स्थानीय लोगों ने सूर्य मंदिर से बालू हटाने के फैसले का स्वागत करने के साथ ही बालू हटाने की पूरी प्रक्रिया को सार्वजनिक करने की मांग की है।

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