भूकंप से थर्राए नेपाल में तबाही के तीन दिन

शनिवार दोपहर आए विनाशकारी भूकंप से नेपाल पूरी तरह से तबाह हो गया है। अब तक 3200 से अधिक लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है। हजारों घायल और लापता हैं। उस पर से बार-बार आ रहे भूकंप से लोग दहशत में हैं। ऊपर से अफवाहों का बाजार भी

By Sudhir JhaEdited By: Publish:Mon, 27 Apr 2015 10:18 AM (IST) Updated:Mon, 27 Apr 2015 06:19 PM (IST)
भूकंप से थर्राए नेपाल में तबाही के तीन दिन

नई दिल्ली, [सुधीर झा]। शनिवार दोपहर आए विनाशकारी भूकंप से नेपाल पूरी तरह से तबाह हो गया है। अब तक 3200 से अधिक लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है। हजारों घायल और लापता हैं। उस पर से बार-बार आ रहे भूकंप से लोग दहशत में हैं। ऊपर से अफवाहों का बाजार भी गर्म है। लाखों की संख्या में लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। राहत और बचाव का काम चल रहा है लेकिन तबाही एेसी है कि पार पाना आसान नहीं है। नेपाल में राहत और बचाव के काम में भारत ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसके अलावा कई और देश भी इस कठिन घड़ी में नेपाल की मदद कर रहे हैं। तबाही के तीन दिन हो गए हैं, कैसे गुजर रही है नेपाल के लोगों की जिंदगी सोंचकर ही दिल दहल जाता है।

नेपाल में आठ दशक में सबसे शक्तिशाली भूकंप

हिमालय की गोद में बसे नेपाल में शनिवार को शक्तिशाली भूकंप के झटकों ने बर्बादी की नई इबारत लिख दी। हर ओर तबाही का मंजर, हर चेहरे पर दहशत, आंखों में आंसू और आसमान में मलबे का गुबार है। 7.9 की तीव्रता वाले भूकंप से 3200 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और हजारों घायल और लापता हैं। मृतकों का आंकड़ा हर बीतते पल के साथ बढ़ रहा है। देश में आपातकाल लगा दिया गया है। नेपाल की मदद के लिए सबसे पहले भारत ने हाथ बढ़ाया। इससे पहले नेपाल में 15 जनवरी 1934 को 8.4 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 8500 लोगों की मौत हो गई थी।

भारत ने सबसे पहले मदद के लिए बढ़ाया अपना हाथ

भारत के साथ-साथ नेपाल में भूकंप की खबर मिलते ही भारत सरकार ने सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नेपाल को हम हर तरह की मदद देंगे। वहां के हर व्यक्ति का आंसू पोछेंगे। भूकंप के तत्काल बाद भारत सरकार ने राहत व बचाव के लिए एनडीआरएफ की दस टीमें नेपाल रवाना कर दी। इसके साथ ही वायुसेना के विमान राहत और बचाव के लिए भेजे। कई टन राहत सामग्रियां भेजी। पड़ोसी देशों को मोदी सरकार कितनी अहमियत देती है यह बात किसी से छिपी नहीं है। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और पीएम मोदी ने नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव और प्रधानमंत्री सुशील कोइराला से बात कर हर मदद की पेशकश की।

नेपाल में राहत और बचाव का काम युद्धस्तर पर जारी

जगह-जगह लाशें बिछी हुई हैं। चारों ओर तबाही का मंजर पसरा हुआ है। जिन इमारतों में कल तक जिंदगी की मुस्कुराहट थी, आज उनके मलबों में मौत का रुदन है। शनिवार के भूकंप ने हिमालय की गोद में बसे नेपाल को बर्बाद कर दिया। भूकंप आने के कुछ ही देर बाद शुरू हुआ राहत और बचाव का काम लगातार जारी है। बुलडोजर, कुल्हाड़ी और फावड़े से लोग मलबा हटाने में लगे हुए हैं। कुछ लोग खाली हाथ भी दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इन्हें खाली हाथ कहना शायद मुनासिब नहीं होगा। उन्होंने अपने हाथों को ही औजार बना लिया है। जैसे-जैसे मलबा हट रहा है, लाशों की गिनती बढ़ती जा रही है। एक..दो..तीन..पंद्रह..सोलह..पचास.. साठ... अब यह संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। राहत कार्य में लगे लोगों का मन भारी होने लगा है। मलबों को हटाने में छलनी हो चुके हाथों से खून आने लगा है, लेकिन हौसला कायम है।

भारतीय कंपनियों ने भी मदद को बढ़ाया हाथ

पड़ोसी देश नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के पीड़ितों को सहायता देने के के लिए कई भारतीय कंपनियां भी आगे आई। सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने एलान किया है कि अगले तीन दिन तक वह नेपाल के लिए की जाने वाली सभी फोन कॉल पर लोकल दर से शुल्क वसूलेगी। यह जानकारी देते हुए बीएसएनएल के सीएमडी अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि इस सुविधा के चलते भारतीय नेपाल में अपने प्रियजनों से बात कर सकेंगे। कंपनी ने यह कॉल दरों में कमी का निर्णय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई एक बैठक के बाद लिया। इस फैसले का दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अनुमोदन किया है। बीएसएनएल नेपाल के लिए कॉल करने वालों से 10 रुपये प्रति मिनट की दर वसूलती है। अब कंपनी के ग्राहकों को नेपाल की कॉल के लिए उनके प्लान के हिसाब से लोकल कॉल की दर ही चुकानी होगी। इसके बाद एयरटेल ने भी अपनी ओर से राहत की घोषणा की।

तीन लाख से अधिक विदेशी फंसे हैं नेपाल में

भूकंप के बाद भारत सहित कई देशों के तीन लाख से अधिक लोग नेपाल में फंसे हुए हैं। भारत सरकार ने अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए वायुसेना के कई विमान लगाए हैं। अबतक लगभग 5000 से अधक लोगों को स्वदेश वापस लाया भी जा चुका है। मौसम खराब होने की वजह से इस काम में बाधा आ रही है। हजारों की संख्या में विदेशी लोग काठमांडू हवाई अड्डे पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। वहां स्थिति काफी विकट है। 75 रुपये में एक लीटर पानी का बोतल मिल रहा है। अब सड़क मार्ग भी खोला जा रहा है जिससे विदेशी लोगों को बाहर निकाला जा सके।

एवरेस्ट पर हिमस्ख्लन से मारे गए कई पर्वतारोही

नेपाल में शनिवार को आए भूकंप के झटके के बाद एवरेस्ट से हुए हिमस्खलन में कई पर्वतारोहियों के मारे जाने की सूचना है भारतीय पर्वतारोही अर्जुन वाजपेयी ने मकालू बेस कैंप से फोन पर हिमस्खलन होने की सूचना दी।हिस्खलन से कुछ कैंप बर्फ में दफन हो गए। गूगल कंपनी के एक्जीक्यूटिव कैलिफोर्निया निवासी डैन फ्रेडिनबर्ग की हिमस्खलन से मौत हो गई। वह अमेरिका मैडिसन माउंटेनियरिंग टीम के सदस्य थे। इस दल में शामिल गूगल के तीन और लोग सुरक्षित हैं। इसी टीम के बेस कैंप डॉक्टर की भी मौत हो गई।

एवरेस्ट पर फंसे पर्वतारोहियों को निकालने का काम जारी है। रविवार के हिमस्खलन से पहले घायल पर्वतारोहियों को लेकर पहला विमान काठमांडू पहुंचा। नेपाल पर्यटन मंत्रालय ने बताया कि करीब एक हजार पर्वतारोही जिनमें 400 विदेशी हैं, बेस कैंप या चोटी के पास फंसे हैं। 22 घायलों को हेलीकॉप्टर से निकालकर पास के गांव में पहुंचाया गया। इस काम में भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर भी जुटे हैं। भारतीय सेना के पर्वतारोही दल के सदस्य सुरक्षित हैं और बचाव अभियान में मदद कर रहे हैं।

तस्वीरें: उप्र एवं बिहार में तबाही का मंजर

नेपाल में आए 60 से अधिक झटके

नेपाल में शनिवार को आए आठ दशक के सबसे शक्तिशाली भूकंप के बाद भी लोगों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। रविवार को लगातार आते रहे झटकों से लोगों में दहशत बना रहा। झटकों का अहसास होते ही खौफजदा लोग घरों से निकलकर खुले स्थानों की ओर भागने लगते हैं। इस बीच, भूकंप से हताहतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार शनिवार से अब तक भूकंप के 60 से अधिक झटके आ चुके हैं।

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