सिडनी में 16 घंटे आतंक का तांडव, बंदूकधारी ईरानी रिफ्यूजी मोनिस ढेर

सिडनी के पैंतीस बंधकों के संकट का पटाक्षेप 16 घंटे में ही हो गया। अगर ऑस्ट्रेलिया की सरकार शुरू से इस मामले में सजग न रहती तो सिडनी की ये सनसनीखेज वारदात मुंबई के आतंकी हमले जैसा भयावह रूप भी ले सकती थी। बहरहाल, दो भारतीय समेत बाद में बचे

By Rajesh NiranjanEdited By: Publish:Tue, 16 Dec 2014 03:41 AM (IST) Updated:Tue, 16 Dec 2014 10:48 AM (IST)
सिडनी में 16 घंटे आतंक का तांडव, बंदूकधारी ईरानी रिफ्यूजी मोनिस ढेर

सिडनी। सिडनी के पैंतीस बंधकों के संकट का पटाक्षेप 16 घंटे में ही हो गया। अगर ऑस्ट्रेलिया की सरकार शुरू से इस मामले में सजग न रहती तो सिडनी की ये सनसनीखेज वारदात मुंबई के आतंकी हमले जैसा भयावह रूप भी ले सकती थी। बहरहाल, दो भारतीय समेत बाद में बचे 15 बंधकों को चंद मिनटों की पुलिस कार्रवाई में मुक्त करा लिया गया। इस दौरान 50 साल का बंदूकधारी ईरानी रिफ्यूजी हारुन मोनिस भी मारा गया है। इस कार्रवाई के दौरान दो बंधकों की भी मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। मृतकों में एक 34 वर्षीय व्यक्ति और एक 38 वर्षीय महिला शामिल है। सिडनी पुलिस के अनुसार इस घटना के पीछे कोई आतंकी गुट नहीं था और यह एक व्यक्ति की करतूत थी।

इस बीच, कैनबरा स्थित विदेश मंत्रालय एवं व्यापार कार्यालय के कैंटिन में संदिग्ध पैकेट पाए जाने के बाद 100 से ज्यादा कर्मचारियों को वहां से बाहर निकाल लिया गया। यह कार्यालय संसद भवन के काफी नजदीक है। बम निरोधी दस्ता मौके पर पहुंचकर छानबीन में जुट गया है।

सिडनी के पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि ईरानी मूल का सनकी रिफ्यूजी बंदूकधारी हारुन अपनी शर्तों के पूरा होने के साथ ही बीच-बीच में कुछेक बंधकों को रिहा करता जा रहा था। इसके बाद 16वें घंटे में शुरू हुई कमांडो कार्रवाई के दौरान फायरिंग के बीच लिंड चाकलेट कैफे से भागते हुए भारतीय आइटी विशेषज्ञ विश्वकांत अंकित रेड्डी पांच अन्य बंधकों के साथ बाहर निकले। उसके थोड़ी ही देर बाद एक अन्य भारतीय बंधक पुष्पेंदु घोष भी बाहर आ गए। ये दोनों भारतीय एकदम ठीक हैं।

गौरतलब है कि अंधेरा होने के बाद ऑस्ट्रेलिया की टास्क फोर्स कमांडो कार्रवाई करने के लिए लिंड कैफे के अंदर घुसी। कुछ ही मिनटों में भारतीय बंधक समेत कई बंधक सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए। घायलों को स्ट्रैचर से बाहर लाया गया। और इस पूरे प्रकरण का पटाक्षेप हो गया। कमांडो कार्रवाई के दौरान गोलीबारी और बम धमाके की आवाजें सुनाई देती रहीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस पूरे प्रकरण पर लगातार अपनी नजर रखे रहे। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया खासकर सिडनी में मौजूद भारतीयों की सुरक्षा के लिए हर जरूरी एहतियात बरते। दोनों नेताओं ने बंधकों की रिहाई के बाद ट्वीट करके खुशी जाहिर की है। इधर, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाकर इस मामले को निपटाने के लिए बहुत ही सटीक और समयबद्ध रणनीति बनाई। सुबह से लेकर रात तक बंदूकधारी को सरकार की ओर से बातों में उलझाकर रखा गया और अंधेरा होते ही कमांडो कार्रवाई शुरू कर दी गई।

उल्लेखनीय है कि सिडनी के व्यापारिक क्षेत्र मार्टिन प्लेस स्थित लिंड चाकलेट कैफे में सोमवार की सुबह करीब पौने दस बजे बंदूकधारी ने कैफे को अंदर से बंद करके 35 वर्षीय भारतीय आइटी विशेषज्ञ अंकित रेड्डी और पुष्पेंदु घोष समेत 35 लोगों को बंधक बना लिया था। तब पास ही स्थित भारतीय वाणिज्यिक दूतावास को एहतियात के तौर पर खाली करा लिया गया था।

मृतक बंधकों की पहचान हुई

सिडनी बंधक कांड में मारे गए दोनों लोगों की पहचान कर ली गई है। मारी गई बंधक 38 वर्षीय कैटरीना डावसन पेशे वकील थी। वह तीन छोटे बच्चों की मां भी थी। वहीं, 34 वर्षीय टोरी जॉनसन लिंड चाकलेट कैफे में ही प्रबंधक के रूप में कार्य कर रहा था। वह कैफे में अक्टूबर 2012 से कार्यरत था।

पीएम एबॉट ने कहा, इस घटना से कई सबक सीखने की जरूरत

प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने आज कहा कि इस घटना से कई सबक सीखने की जरूरत है। एबॉट ने कहा कि उसने [बंदूकधारी ने] अपनी इस हरकत को आईएस की विचारधारा से जोडऩे की कोशिश की। ये बहुत दुख की बात है कि हमसे से कई लोग ऐसे हैं जो राजनीति से प्रेरित हिंसा में यकीन रखते हैं, लेकिन मार्टिन प्लेस की ये घटना हमें आश्वस्त करती है कि हमलोग इस तरह के लोगों से कानूनी रूप से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

इंफोसिस ने जताया आभार

चेन्नई। इंफोसिस ने सिडनी बंधक कांड में अपने कर्मचारी को सुरक्षित बाहर निकाल लेने पर ऑस्ट्रेलियाई पुलिस और प्रशासन का धन्यवाद किया है। उसने इसके साथ ही भारतीय दूतावास का भी आभार जताया है, जो वहां की पल-पल की खबर रख रहा था।

हमलावर हारुन यौन हिंसा में काट चुका है सजा

पुलिस सूत्रों ने बताया कि बंधक बनाने वाला बंदूकधारी ईरानी रिफ्यूजी हारुन मोनिस है। वह यौन हिंसा के एक मामले में सजा काट चुका है। ये सिरफिरा दूसरे देशों में सैन्य अभियानों के दौरान मारे गए ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों के परिजनों को नफरत से भरे खत भेजने के मामलों में कुख्यात रहा है। खुद को एक शेख बताने वाले मोनिस का लंबा आपराधिक रिकार्ड रहा है।

कैफे में घुसते ही उसने काले रंग के झंडे पर सफेद रंग से अरबी में लिखा शादाह खिड़की पर लगा दिया। काले झंडे पर लिखा था 'कोई और ईश्वर नहीं केवल अल्लाह है। मोहम्मद ही पैगम्बर है।' आतंकी ने बंधकों को हाथ ऊपर कर खिड़की से सटाकर खड़ा किया था। उसने दावा किया था कि उसके पास चार बम हैं जिसमें से दो कैफे के अंदर और दो अन्य कहीं बाहर लगाए गए हैं।

पहले ही भाग निकले थे पांच बंधक

सुबह से जारी इस बंधक प्रकरण के पांच घंटे बाद ही कैफे से पांच बंधकों को बाहर भाग निकलने का मौका मिल गया था। इनमें से दो महिलाएं और तीन पुरुष थे। दो बंधक दरवाजे से भाग निकले, बाकी तीन भी अलग तरीकों से निकलने में सफल रहे।

कैफे के आसपास के इलाके खाली कराए

सिडनी में प्रशासन ने आसपास की सभी सड़कों को खाली करा लिया था और स्थानीय पुलिस ने कैफे के आसपास के इलाके को सील कर घेराबंदी की थी। न्यू साउथ वेल्स जाने वाले वाली ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया था। ये इलाका संसद, सिडनी ओपेरा हाउस, सरकारी लाइब्रेरी, अमेरिकी उच्चायोग और सभी अदालतों के बहुत करीब है।

लगाई थी सनक भरी शर्त

सिर पर अरबी में नारे लिखी काली पïट्टी बांधे इस सरफिरे ईरानी रिफ्यूजी हारुन मोनिस ने बंधक प्रकरण के साथ ही आस्ट्रेलिया सरकार से तीन मांगें रखी थीं। पहली शर्त थी आइएस का झंडा लाकर देंगे तो एक बंधक को रिहा करेंगे। दूसरी थी, प्रधानमंत्री टोनी एबाट से सीधे बात कराओगे तो पांच बंधकों को रिहा करेंगे। तीसरी शर्त में उसने कहा था कि अगर एबॉट सरकार ऐलान कर दे कि ये हमला आतंकी गुट आइएस ने कराया है तो वह और पांच लोगों को रिहा कर देगा। अगर तीनों शर्तें पूरी नहीं हुईं तो वह तीन बम फोड़ कर सभी को मार देगा।

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