ईरान से छाबर पोर्ट के विकास का करार, मध्य एशिया में बढ़ेगा दबदबा

अमेरिका की सलाह को दरकिनार कर भारत ने ईरान के साथ छाबर बंदरगाह के विकास को लेकर करार कर लिया है । यह करार केंद्रीय सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की बुधवार को अपनी ईरान यात्रा के दौरान किया। इसके बाद भारत जहां अफगानिस्‍तान से समुद्री मार्ग के

By Sachin kEdited By: Publish:Wed, 06 May 2015 01:14 AM (IST) Updated:Thu, 07 May 2015 08:26 AM (IST)
ईरान से छाबर पोर्ट के विकास का करार, मध्य एशिया में बढ़ेगा दबदबा

नई दिल्ली। अमेरिका की सलाह को दरकिनार कर भारत ने ईरान के साथ छाबर बंदरगाह के विकास को लेकर करार कर लिया है । यह करार केंद्रीय सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की बुधवार को अपनी ईरान यात्रा के दौरान किया। इसके बाद भारत जहां अफगानिस्तान से समुद्री मार्ग के जरिए जुड़ेगा वहीं पूरे मध्य एशिया में भारत का दबदबा बढ़ेगा।

गडकरी के साथ बातचीत में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि भारत और ईरान के बीच छाबर बंदरगाह को विकसित करने वाला समझौता दोनों देशों के बीच के सहयोगी रिश्ते को एक नई दिशा प्रदान करेगा। भारत छाबर बंदरगाह में दो बर्थ का पट्टा 10 साल के लिए लेगा। पोर्ट का विकास स्पेशल पर्पज व्हीकल के जरिये किया जाएगा, जिसमें 8.5 करोड़ डॉलर का निवेश किया जाएगा। इसके जरिये बर्थडे को कंटेनर टर्मिनल और मल्टी पर्पज कार्गो टर्मिनल में बदला जाएगा।

उल्लेखनीय है कि गत सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को भी आश्वस्त किया था कि बंदरगाह के निर्माण के लिए भारत प्रतिबद्ध है। वहीं हाल में भारत आईं अमेरिकी उप विदेश मंत्री (राजनीतिक मामले) वेंडी शरमन ने कहा था कि तेहरान के साथ जब तक परमाणु समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक भारत और अन्य देशों को ईरान के साथ कारोबार करने की जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए।

छाबर बंदरगाह क्यों है महत्वपूर्ण

सामरिक दृष्टि से छाबर बंदरगाह भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह सिस्तान व ब्लूचिस्तान प्रांत में ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। इसके विकास से भारत को पाकिस्तान को बाइपास कर अफगानिस्तान पहुंचने का समुद्री मार्ग उपलब्ध होगा। नई दिल्ली के लिए यह सामरिक दृष्टि से इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके जरिये मध्य एशिया और खाड़ी देश पहुंचने में परिवहन लागत कम आएगी और समय की भी बचत होगी। इस बंदरगाह के जरिये कच्चा तेल और यूरिया का आयात किया जाएगा।

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