इरान और विश्व की महाशक्तियों के बीच परमाणु करार सहमति
स्विटजरलैंड में आठ दिनों तक चली बातचीत के बाद ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम पर समझौते की रूपरेखा को लेकर सहमति बन गई है। विश्व की महाशक्तियों ने ईरान को परमाणु हथियार न बनाने पर रजामंद कर लिया है। अमेरिका, ईरान तथा विश्व की अन्य पांच शक्तियां (चीन, फ्रांस, रूस,
लुसाने। स्विटजरलैंड में आठ दिनों तक चली बातचीत के बाद ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम पर समझौते की रूपरेखा को लेकर सहमति बन गई है। विश्व की महाशक्तियों ने ईरान को परमाणु हथियार न बनाने पर रजामंद कर लिया है। अमेरिका, ईरान तथा विश्व की अन्य पांच शक्तियां (चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और जर्मनी) ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। परमाणु कार्यक्रम को लेकर व्यापक समझौता तैयार करने की समयसीमा 30 जून है।
इसके साथ ही ईरान का पश्चिमी देशों के साथ पिछले 12 साल से जारी गतिरोध दूर हो गया है। संभावित समझौते में जहां ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर जोर रहेगा, वहीं बदले में तेहरान पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी। यूरोपियन यूनियन फॉरेन पॉलिसी की प्रमुख फ्रेड्रिका मोघरिनी ने गुरुवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि एक दशक से अधिक समय तक चली वार्ता के बाद हम निर्णायक स्तर पर पहुंच गए हैं। उनके बाद ईरान के विदेश मंत्री मुहम्मद जावेद जारिफ ने फारसी भाषा में यही बात कही। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसके बावजूद ईरान और अमेरिका के बीच गतिरोध जारी रहेंगे।
केरी को ईरान परमाणु समझौता होने की उम्मीद
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और ब्रिटेन, फ्रांस तथा जर्मनी के राजनयिकों ने भी समझौते पर सहमति की जानकारी दी। केरी ने समझौते की रूपरेखा पर सहमति बनने को बड़ा दिन बताया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'बड़ा दिन. जल्द ही अंतिम समझौते पर काम शुरू होगा।' इस सहमति पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि यूरेनियम से समृद्ध ईरान अब इसका प्रयोग परमाणु बम बनाने के लिए नहीं कर सकेगा। दरअसल, पश्चिमी देशों को हमेशा से संदेह रहा है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है, जबकि तेहरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।