ईरान के साथ रिश्ते बढ़ाने पर अमेरिका ने दी भारत को चेतावनी
ईरान के साथ अमेरिका की तनातनी कई सालों से जारी है। ईरान अपने परमाणु हथियार विकसित करना चाहता है, जिसपर अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों को एतराज है। ईरान पर संयुक्त राष्ट्र व पश्चिमी देशों ने कई तरह के प्रतिबंध लगाकर उसे पुरी दुनिया से अलग-थलग कर दिया और भारत
नई दिल्ली। ईरान के साथ अमेरिका की तनातनी कई सालों से जारी है। ईरान अपने परमाणु हथियार विकसित करना चाहता है, जिसपर अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों को एतराज है। ईरान पर संयुक्त राष्ट्र व पश्चिमी देशों ने कई तरह के प्रतिबंध लगाकर उसे पुरी दुनिया से अलग-थलग कर दिया और भारत समेत कई देशों को ईरान के साथ अपने व्यापारिक संबंध तोड़ने पड़े या कम करने पड़े। लेकिन अब जब अमेरिका व पश्चिमी देश ईरान के साथ परमाणु समझौते की तरफ बढ़ रहे हैं। तो भारत समेत कई देश ईरान के साथ अपने व्यापारिक संबंध बढ़ाने में जुट गए। लेकिन अब भारत के इरादों को धक्का लग सकता है। अमेरिकी मंत्री वेंडी शेरमन ने बुधवार को यह बात कही कि अमेरिका चाहता है कि भारत और अन्य देश अपने व्यापार संबंधों को बढ़ाने से पहले ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु समझौते के पूरी तरह हो जाने का इंतजार करें।
भारत समेत ईरान से तेल आयात करने वाले देशों की व्यापार बढ़ाने की उत्सुकता को देखते हुए शेरमन ने कहा, मैं कहना चाहूंगा कि थोड़ा रुको, ईरान के साथ अभी अंतिम समझौता नहीं हुआ है।ध्यान रहे कि अभी ईरान सस्ते दामों पर तेल आयात करने को तैयार है। अगर भारत अमेरिका के दबाव में आता है उसे आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।
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पश्चिमी देशों को डर है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में छूट के सहारे ईरान परमाणु बम विकसित कर सकता है। डिप्लोमेट्स अब इन आशंकाओं का समाधान तलाशने में जुटे हैं। हालांकि, अमेरिका ने कहा है कि अभी ईरान के साथ कठोर मसलों पर बात करना बचा है और इसका बात की कोई गारंटी नहीं है कि 30 जून तक डील हो ही जाए।
ईरान से परमाणु वार्ता करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे शेरमन ने कहा, हम जानते हैं कि प्रतिबंध हटने के बाद कोई भी ईरान से व्यापार संबंधों को लेकर पीछे नहीं रहना चाहता है। हर कोई अगली लाइन में ही रहना चाहता है।
गौरतलब है कि हाल ही में भारत के एक प्रतिनिधि मंडल ने ईरान का दौरा किया था और तेल के आयात संबंधी मसलों पर चर्चा की थी।
तेहरान के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाने को उत्सुक भारत और दूसरे ईरानी तेल के खरीददारों की ओर इशारा करते हुए शेरमन ने कहा, 'मैं कहना चाहूंगी 'थोड़ा थम जाएं। हम अभी तक किसी समझौते पर नहीं पहुंचे हैं।'
हालांकि इसके साथ ही भारत की तरक्की को अपने हित में होने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ एशिया में बल्कि पश्चिम एशिया और अफ्रीका में भी साझेदारी करने पर गौर कर रहा है। अफ्रीका महाद्वीप में चीन ने काफी निवेश किया है।
शेरमन ने कहा कि भारत के साथ संबंध अमेरिका के लिए काफी मायने रखता है और भारत की नई सरकार ने द्विपक्षीय संबंधों में ऊर्जा, जोर और विजन दिया है। उन्होंने यहां पत्रकारों ओर यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो सेंटर के एक समूह को संबोधित करते हुए यह बात कही।
वहीं चीन के बारे में पूछे जाने पर शेरमन ने कहा कि अमेरिका को उम्मीद है कि चीन समृद्ध, शांतिपूर्ण होगा और इस तरह देशों के बीच सहयोगी संबंध हो सकेगा। उन्होंने कहा, 'मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि हम बाजार में प्रतियोगी होंगे, यह हर किसी के लिए अच्छा है क्योंकि फिर आप अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे। हमने जो कहा और जैसा कि मेरा मानना है कि भारत यह पूछेगा कि क्या चीन अंतरराष्ट्रीय नियम कायदों का पालन करेगा।'
भारत के साथ गहरा संबंध होने का जिक्र करते हुए वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनके सहकर्मियों ने यहां न सिर्फ व्यापक समूहों के साथ परामर्श किया, बल्कि अपने समकक्षों के साथ भी विचार विमर्श किया। शेरमन ने कहा कि नयी दिल्ली के साथ संबंध काफी मायने रखता है। उन्होंने कहा, 'जैसा कि मैं हर किसी से कहती हूं, 2050 तक भारत हर चीज में सबसे बड़ा होगा। सबसे बड़ी आबादी होगी, सबसे बड़ा समृद्ध वर्ग, सबसे बड़ा गरीब तबका, सबसे बड़ा मध्य वर्ग होगा।'
शेरमन ने कहा कि भारत ने अपना विकास एजेंडा इस दुनिया में उस तरह से बढ़ाया है, जो किसी इतनी बड़ी आबादी वाले देश को करते नहीं देखा गया है। उन्होंने कहा कि आपकी विकास दर आठ से नौ फीसदी की है जो बढ़ी हुई अवधि के लिए असाधारण है, यह संबंध हमारे लिए काफी मायने रखता है।