इस्लाम कबूल करो, धार्मिक कर दो या फिर मारे जाओ

इराक के मुस्लिम आतंकियों ने उत्तरी इराक में रहने वाली ईसाई आबादी को अल्टीमेटम दे दिया है। इसमें कहा गया है कि वे इस्लाम कबूल कर ले, या धार्मिक कर जजिया अदा करें या मौत का सामना करें। यह बयान आतंकियों के कब्जे वाले मोसुल में वितरित किया गया है। आतंकी संगठन अलकायदा की शाखा इस्लामिक स्टेट की ओर से ज

By Edited By: Publish:Sat, 19 Jul 2014 02:16 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jul 2014 02:16 AM (IST)
इस्लाम कबूल करो, धार्मिक कर दो या फिर मारे जाओ

बगदाद। इराक के मुस्लिम आतंकियों ने उत्तरी इराक में रहने वाली ईसाई आबादी को अल्टीमेटम दे दिया है। इसमें कहा गया है कि वे इस्लाम कबूल कर ले, या धार्मिक कर जजिया अदा करें या मौत का सामना करें। यह बयान आतंकियों के कब्जे वाले मोसुल में वितरित किया गया है।

आतंकी संगठन अलकायदा की शाखा इस्लामिक स्टेट की ओर से जारी इस बयान में इस पर शनिवार से अमल के लिए शनिवार तक का समय दिया है। कहा गया है कि जो ईसाई इस संगठन द्वारा इराक के कुछ हिस्सों और सीरिया में घोषित खिलाफत शासन क्षेत्र में बने रहना चाहते हैं उन्हें हर हाल में धीमा (करार) की शर्तो को मानना होगा।

धीमा वह ऐतिहासिक प्रथा है जिसके तहत गैर मुस्लिमों की मुस्लिम रक्षा करते हैं और बदले में उन्हें जजिया कर देना पड़ता है। घोषणा में कहा गया है कि हम उन्हें तीन विकल्प देते हैं- इस्लाम कबूलें या जजिया कर दें, यदि इससे इन्कार करते हैं तो और कुछ नहीं सिर्फ तलवार बचती है। मोसुल के एक निवासी ने बताया कि यह बयान इराक के उत्तरी प्रांत निनवेह में गुरुवार को बांटा गया और मस्जिदों में पढ़ कर सुनाया गया।

कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट के नेता अबू बकर अल-बगदादी जिसका गुट अब खलीफा इब्राहिम के नाम से जाना जाता है उसने उन ईसाइयों को जो उसकी शर्तो पर वहां रहना नहीं चाहते हैं इस्लामिक खिलाफत की सीमा क्षेत्र छोड़कर बाहर जाने के लिए शनिवार तक का समय दिया है। मोसूल में कभी एक लाख से अधिक ईसाई रहते थे लेकिन हाल की घटनाओं के बाद शहर में मुश्किल से 200 ईसाई बचे हैं।

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