मलेरिया की नई दवा के लिए मिला चिकित्सा का नोबेल

आयरलैंड में जन्मे विलियम कैंपबेल, जापान के सतोशी ओमुरा और चीन की यूयू तु को संयुक्त रूप से 2015 का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई। पैरासाइट्स (परजीवी) संबंधी बीमारियों के इलाज की खोजों के लिए उन्हें चुना गया। स्वीडन के कैरोलिंसका इंस्टीट्यूट में नोबेल असेंबली ने

By anand rajEdited By: Publish:Mon, 05 Oct 2015 09:11 PM (IST) Updated:Tue, 06 Oct 2015 02:27 AM (IST)
मलेरिया की नई दवा के लिए मिला चिकित्सा का नोबेल

स्टॉकहोम। आयरलैंड में जन्मे विलियम कैंपबेल, जापान के सतोशी ओमुरा और चीन की यूयू तु को संयुक्त रूप से 2015 का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई। पैरासाइट्स (परजीवी) संबंधी बीमारियों के इलाज की खोजों के लिए उन्हें चुना गया। स्वीडन के कैरोलिंसका इंस्टीट्यूट में नोबेल असेंबली ने सोमवार को घोषणा की कि कैंपबेल और ओमुरा को पुरस्कार का आधा दिया जाएगा।


जबकि आधा यूयू को दिया जाएगा। कैंपबेल और ओमुरा ने राउंड वोर्म पैरासाइट्स से होने वाले संक्रमण के इलाज की नई दवा एवरमेक्टिन की खोज की। इससे रिवर ब्लाइंडनेस और लिम्फैटिक फिलारियासिस के मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है। इसके अलावा यह अन्य पैरासाइटिक बीमारियों के इलाज में भी कारगर है। नोबेल असेंबली ने कहा कि यूयू ने मलेरिया के नए इलाज संबंधी खोज की।

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उनकी नई दवा आर्टेमिसीनिन से मलेरिया के मरीजों की मृत्यु दर में कमी आई है। उनकी यह खोज चीन की पारंपरिक हर्बल दवाओं पर आधारित है। नोबेल असेंबली ने कहा, "इन खोजों से मानवजाति को इन बीमारियों से लड़ने का शक्तिशाली साधन मिला है। हर साल लाखों लोग इन बीमारियों से पीड़ित होते हैं।" नोबेल विजेताओं को 80 लाख स्वीडिश क्रोनर यानी नौ लाख 60 हजार अमेरिकी डॉलर (करीब 6.26 करोड़ रुपये) की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।

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