बाल-बाल बचा रूस, आइओसी ने दी राहत, नहीं लगाया पूर्ण प्रतिबंध

आइओसी ने अचानक यू-टर्न लेते हुए रूस पर पूरी तरह से प्रतिबंध न लगाने का फैसला लिया है।

By ShivamEdited By: Publish:Sun, 24 Jul 2016 07:57 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jul 2016 09:27 AM (IST)
बाल-बाल बचा रूस, आइओसी ने दी राहत, नहीं लगाया पूर्ण प्रतिबंध

नई दिल्ली। आज अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद (आइओसी) रूस पर प्रतिबंध को लेकर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाला था और सबकी नजरें इस पर टिकी हुई थीं लेकिन आइओसी ने अचानक यू-टर्न लेते हुए रूस पर पूरी तरह से प्रतिबंध न लगाने का फैसला लिया है।

- बाल-बाल बचा रूस

आइओसी ने आज ऐलान किया कि वो अगले महीने होने वाले रियो ओलंपिक खेलों के लिए डोपिंग में फंसे रूस पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाएगा। वाडा ने रूस पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की थी लेकिन आइओसी की 15 सदस्यीय समिति ने आज खेलों को बचे कम समय को देखते हुए रूस पर प्रतिबंध न लगाने का फैसला लिया है और साथ ही ये कहा कि रूसी एथलीटों के खेलने या न खेलने देने का अंतिम अधिकार अब भी अंतरराष्ट्रीय फेडरेशंस के पास होगा।

आइओसी ने साथ ही कहा कि वाडा मैक्लारेन में जिन रूसी अधिकारियों का नाम है उनके खिलाफ अनुशासन कार्रवाई सोमावार से शुरू की जाएगी। कयास लगाए जा रहे थे कि आइओसी तय कर चुका है और आज होने वाला फैसला रूस के खिलाफ ही होने वाला है। जिसका मतलब ये होता कि 387 एथलीटों वाला रूस का दल ओलंपिक खेलों में हिस्सा नहीं ले पाता। ये ओलंपिक इतिहास में पहली बार होता जब किसी देश को डोपिंग मामले में ओलंपिक खेलों व किसी भी बड़े खेल आयोजन से पूरी तरह बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। हालांकि फिलहाल रूस को राहत मिलती नजर आ रही है।

- एथलीटों पर पहले ही लग गया था बैन

गौरतलब है कि शुक्रवार को कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (सीएएस) ने रूस की उस अपील को खारिज कर दिया था जिसमें उसने आइएएएफ (अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स फेडरेशन) के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसके तहत रूस के ट्रैक एंड फील्ड एथलीटों पर बैन लगा था। सीएएस द्वारा इस अपील को खारिज करते ही ये साफ हो गया था कि रूस के 68 ट्रैक एंड फील्ड प्रतिभागी इन ओलंपिक खेलों में नहीं उतर सकेंगे।

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- कब क्या हुआ

ये मामला 2014 से शुरू हुआ था जब एक जर्मन ब्रॉडकास्टर ने ये खुलासा किया था कि रूस में राज्य प्रायोजित डोपिंग लगातार जारी है। इसके बाद तमाम विवादों व जांच के बाद वर्ल्ड एंटी डोपी एसोसिएशन (वाडा) ने नवंबर 2015 में रूसी एंटी डोपिंग संस्था और उनकी फेडरेशन को आड़े हाथों लिया। इसके बाद जब जांच में रूसी एथलीटों के यूरीन सैंपल पॉजिटिव पाए गए तो अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स फेडरेशन (आइएएएफ) ने रूस को अपने स्तर पर पूरी तरह से बैन करने का फैसला सुना दिया। ये मामला तब और बड़ा हो गया जब इसी महीने वाडा की एक जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि रूस का खेल मंत्रालय (खासतौर पर खेल मंत्री विताली मुतको) और फेडरल सेक्यूरिटी सर्विस (एफएसबी) भी इस राज्य प्रायोजित डोपिंग प्रकरण का हिस्सा था क्योंकि उन्होंने एथलीटों के पॉजिटिव सैम्पल छुपाने की कोशिश की थी।

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