Move to Jagran APP

गाजीपुर लैंडफिल पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला, साइट के पास नहीं दी जा सकती डेयरियों को काम करने की अनुमति

गाजीपुर लैंडफिल साइड के पास नहीं दी जा सकती डेयरियों को काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव एमसीडी आयुक्त एमसीडी पशु चिकित्सा निदेशालय और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के सीईओ को अगली तारीख पर कार्यवाही में शामिल होने का निर्देश दिया। अधिकारी उस भूमि की उपलब्धता की संभावना भी तलाशेंगे जहां डेयरियों को स्थानांतरित किया जा सके।

By Vineet Tripathi Edited By: Sonu Suman Published: Wed, 01 May 2024 10:58 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2024 10:58 PM (IST)
दिल्ली हाईकोर्ट ने गाजीपुर लैंडफल साइट के पास डेयरियों को काम करने की नहीं दी अनुमति।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि गाजीपुर जैसी लैंडफिल साइटों के पास डेयरियों को काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि वहां रखी गायें अपशिष्ट पदार्थ खाती हैं और उनके द्वारा उत्पादित दूध का लोगों, विशेषकर बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ना तय है।

loksabha election banner

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि डेयरी कालोनियों को उचित सीवेज, जल निकासी और बायोगैस सुविधाओं और पर्याप्त खुले स्थानों वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

अगली तारीख पर कार्यवाही में शामिल होने के निर्देश

इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) आयुक्त, एमसीडी पशु चिकित्सा निदेशालय और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के सीईओ को सुनवाई की अगली तारीख पर कार्यवाही में शामिल होने का निर्देश दिया। साथ ही आदेश दिया कि अधिकारी उस भूमि की उपलब्धता की संभावना भी तलाशेंगे जहां डेयरियों को स्थानांतरित किया जा सके।

यरियों को तुरंत स्थानांतरित करने की आवश्यकता

पीठ ने कहा कि कि लैंडफिल के बगल में डेयरियों से मनुष्यों को होने वाले गंभीर खतरे को ध्यान में रखते हुए अदालत का प्रथम दृष्टया विचार है कि इन डेयरियों को तुरंत स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। अदालत ने उक्त टिप्पणी अधिवक्ता सुनयना सिब्बल और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

याचिका में राष्ट्रीय राजधानी में नौ डेयरी कॉलोनियों को अन्य उचित स्थानों पर स्थानांतरित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि मामले पर कोई भी बाध्यकारी निर्देश जारी करने से पहले संबंधित अधिकारियों का पक्ष सुनना चाहेगा कि कि इन निर्देशों को कैसे तैयार किया जाना चाहिए।

ये भी पढ़ेंः डार्कवेब में ‘गुम’ हो गई दिल्ली पुलिस की जांच, दो स्कूलों को मिली धमकी के ईमेल का नहीं लग सका पता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.