पाक-चीन कॉरिडोर पर भारत की खरी-खरी, निर्माण को बताया अवैध

भारत ने पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर में चीन के सहयोग से बन रहे कॉरिडोर को पूरी तरह से अवैध बताते हुए पाक से इलाका खाली करने को कहा है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Thu, 02 Jun 2016 07:32 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jun 2016 09:48 PM (IST)
पाक-चीन कॉरिडोर पर भारत की खरी-खरी, निर्माण को बताया अवैध

नई दिल्ली (एएनआई)। भारत ने पाकिस्तान-चीन कॉरिडोर पर अपनी कड़ी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप का कहना है कि जम्मू कश्मीर के जिस हिस्से पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है वहां वह चीन के साथ मिलकर कॉरिडोर नहीं बना सकता है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए विकास स्वरूप ने कहा पाकिस्तान के जिस भाग में चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है, वह भारत का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने इस निर्माण को अवैध बताते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए।

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन की ओर से भारत पर बातचीत की प्रक्रिया से हटने के आरोपों पर भी स्वरूप ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता के खिलाफ निहित स्वार्थों द्वारा किसी भी संगठन या संस्थान को अस्वीकार करते हैं। पाकिस्तान को चाहिए कि वह सबसे पहले कश्मीर के कुछ हिस्सों पर अवैध कब्जे को खाली करे और लोगों की समस्या पर ध्यान केंद्रित करे।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर दोनों मुल्कों के बीच परेशानी का मुख्य कारण नहीं है। बल्कि तनाव का मुख्य कारण शांति की कमी और अस्थिरता बनाने के लिए लगातार बाहर से प्रयोजित आतंकवाद है। इसके अलावा भारत के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान का हस्तक्षेप भी तनाव का बड़ा कारण है।

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति मामनून हुसैन और कई सांसदों की तरफ से कश्मीर का राग अलापने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की पाकिस्तानी कोशिशों की भी भारत ने कड़ी निंदा की है। भारत ने पाकिस्तान को याद दिलाया है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा कश्मीर नहीं, बल्कि भारत में पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देना है।

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भारत यह भी बताना चाहता है कि जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे का कोई और अंतरराष्ट्रीय पहलू नहीं है। कुछ लोग बेवजह इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश क रहे हैं। पाकिस्तान को चाहिए कि जम्मू एवं कश्मीर के जिस हिस्से को गुलाम बनाए बैठा है उसे वह खाली करे। सनद रहे कि भारतीय संसद पूर्ण सहमति से यह प्रस्ताव पारित कर चुका है कि जम्मू एवं कश्मीर का पूरा हिस्सा भारत का अभिन्न अंग है।

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जानकारों की मानें तो जिस तरह से भारत और पाकिस्तान में तल्खी बढ़ रही है उसे देखते हुए फिलहाल द्विपक्षीय समग्र वार्ता शुरू होने की उम्मीद नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच दिसंबर, 2015 में समग्र वार्ता की सहमति बनी थी। लेकिन पठानकोट हमले के बाद इसे टाल दिया गया। उसके बाद से दोनों पक्ष आधिकारिक तौर पर यह कह रहे हैं कि उनके विदेश मंत्रालयों के अधिकारी आपसी संपर्क में हैं। लेकिन हकीकत यही है कि द्विपक्षीय वार्ता की सूरत निकलती नहीं दिख रही है।

संयुक्त राष्ट्र भारत-पाक में सीधी वार्ता का समर्थक

संयुक्त राष्ट्र (प्रेट्र)। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यक्ष वार्ता का समर्थन किया है। महासचिव के प्रवक्ता स्टीफेन दुजारिक ने नियमित प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि क्या महासचिव अपने बचे हुए कार्यकाल में कश्मीर मसले पर पाकिस्तान से बातचीत के लिए भारत को राजी करेंगे। इस पर स्टीफेन ने कहा, 'महासचिव अपने कार्यकाल के शुरू से ही भारत-पाक के बीच सीधी वार्ता का समर्थन करते आए हैं।' संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद पर बान की मून का कार्यकाल इस साल के आखिर में समाप्त हो जाएगा। पूर्व में उन्होंने दोनों देशों के बीच मतभेदों को सुलझाने में मदद करने का प्रस्ताव दिया था।

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