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Kota Suicides: कोटा में छात्र-छात्राओं की आत्महत्या के मामलों पर जिला कलेक्टर का खुला पत्र, हॉस्टल व कोचिंग संस्थानों पर होगी कार्रवाई

देश में कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध राजस्थान के कोटा में छात्र-छात्राओं की बढ़ती आत्महत्या के मामले पर कोटा के जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने विद्यार्थियों व अभिभावकों को खुला पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा कि मैं खुद इसका उदाहरण हूं मैं भी पीएमटी में फेल हो चुका हूं असफलता ही सफलता का मार्ग बताती है। हम केवल मेहनत कर सकते हैं।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Published: Wed, 01 May 2024 10:00 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2024 10:00 PM (IST)
प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि हम बच्चों से उनकी क्षमता से अधिक अपेक्षा कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, जयपुर। देश में कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध राजस्थान के कोटा में छात्र-छात्राओं की बढ़ती आत्महत्या के मामले पर कोटा के जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने विद्यार्थियों व अभिभावकों को खुला पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा कि मैं खुद इसका उदाहरण हूं, मैं भी पीएमटी में फेल हो चुका हूं, असफलता ही सफलता का मार्ग बताती है। हम केवल मेहनत कर सकते हैं। फल देना ईश्वर का काम है। ईश्वर कभी अपने कर्तव्य से चूक नहीं कर सकता, इसलिए वो हमें सफल बना रहा है तो वो ठीक है। अगर असफल कर रहा है तो शायद वो हमारे लिए दूसरा रास्ता चुन रहा है।

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उन्होंने कहा कि अभिभावक भी बच्चों को हर स्थिति में सपोर्ट करें। बच्चों को विश्वास दिलाए कि आप उसके साथ हैं। कलेक्टर ने सप्ताह में एक दिन छात्र-छात्राओं के साथ संवाद करने के लिए काफी विद कलेक्टर कार्यक्रम संचालित किया है। लिखा कि केवल एक परीक्षा को आपके लक्ष्य प्राप्ति की कसौटी नहीं माना जा सकता है।

उन्होंने अभिभावकों को लिखा कि आप अपने बच्चों को गलती सुधारने का मौका दो, जैसा मेरे-माता पिता ने मुझे दिया था। इस साल के चार महीनों में नौ छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की है। दो लापता हैं। पिछले साल 29 छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की थी। जांच में सामने आया कि अधिकांश मामलों में पढ़ाई के दबाव, प्रतिस्पर्धा और अभिभावकों की उम्मीदों के बीच फंसे छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की है। तय गाइडलाइन का पालन नहीं करने वाले कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सीज किया गया है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि हम बच्चों से उनकी क्षमता से अधिक अपेक्षा कर रहे हैं।

यह है गाइडलाइन

हॉस्टल में पंखों पर हैंगिग डिवाइस लगाना आवश्यक है। 16 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। कोचिंग संस्थान व हॉस्टल में मनोचिकित्सकों से नियमित जांच कराई जानी है। प्रतिदिन पांच घंटे से अधिक क्लास नहीं लगाने, अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं की नियमित काउंसलिंग, प्रवेश से पहले स्क्रीनिंग टेस्ट सहित कई प्रविधान प्रशासन की गाइडलाइन में पूर्व में किए गए हैं।


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