पहलाज निहलानी ने सेंसर बोर्ड को बताया भ्रमित संगठन

निहलानी ने शाह रुख खान की हालिया रिलीज 'जब हैरी मेट सेजल' के निर्माताओं को फिल्म से 'इंटरकोर्स' शब्द हटाने को कहा था।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Tue, 15 Aug 2017 06:11 PM (IST) Updated:Tue, 15 Aug 2017 06:11 PM (IST)
पहलाज निहलानी ने सेंसर बोर्ड को बताया भ्रमित संगठन
पहलाज निहलानी ने सेंसर बोर्ड को बताया भ्रमित संगठन

मुंबई, आइएएनएस। पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने सेंसर बोर्ड को भ्रमित संगठन करार दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के दिशा-निर्देश में ऐसा कोई नियम नहीं है कि फिल्मों में कैंची न चलाई जाए। निहलानी का सीबीएफसी अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल विवादों से भरा रहा। पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने इस पद से उनकी छुट्टी कर गीतकार प्रसून जोशी को सीबीएफसी का नया अध्यक्ष बना दिया।

निहलानी ने शाह रुख खान की हालिया रिलीज 'जब हैरी मेट सेजल' के निर्माताओं को फिल्म से 'इंटरकोर्स' शब्द हटाने को कहा था। जबकि इसके बाद उन्होंने बांग्ला फिल्म 'धनंजय' में इस शब्द के इस्तेमाल की अनुमति दे दी थी। अपने इस फैसले की सफाई में अब निहलानी ने कहा, 'मुझे इस शब्द से कोई परेशानी नहीं थी। मैं व्यावहारिक व्यक्ति हूं।

मैं यह जानता हूं कि शाह रुख के प्रशंसकों में बच्चे भी हैं और माता-पिता यह पसंद नहीं करेंगे कि वह 'जब हैरी मेट सेजल' में इंटरकोर्स के बारे में बात करें।' उन्होंने कहा, 'मैं एक चीज साफ करना चाहता हूं कि सीबीएफसी के दिशा-निर्देश में ऐसी कोई शर्त नहीं है कि फिल्मों के दृश्य पर कैंची न चलाई जाए। हालांकि मुझ पर ऊपर से यह दबाव डलवाया जाता था कि कोई काटछांट न की जाए, सिर्फ प्रमाणित किया जाए। सीबीएफसी एक भ्रमित संगठन है। हमें प्रगतिशील दिशा-निर्देश की जरूरत है। इसके बिना हम ऐसे ही अटके रहेंगे।'

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