बीमा पर अध्यादेश संसदीय राजनीति का मजाक : करुणानिधि

द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने बीमा क्षेत्र में एफडीआइ को बढ़ाने के लिए पिछले दरवाजे से अध्यादेश लाने पर केंद्र की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह संसदीय राजनीति का मजाक है। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से इसे मंजूरी नहीं देने की अपील भी की।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 26 Dec 2014 04:08 PM (IST) Updated:Fri, 26 Dec 2014 04:23 PM (IST)
बीमा पर अध्यादेश संसदीय राजनीति का मजाक : करुणानिधि

चेन्नई। द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने बीमा क्षेत्र में एफडीआइ को बढ़ाने के लिए पिछले दरवाजे से अध्यादेश लाने पर केंद्र की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह संसदीय राजनीति का मजाक है। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से इसे मंजूरी नहीं देने की अपील भी की।

उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा जब खुद विपक्ष में थी तो बीमा सुधारों का तीव्र विरोध करती थी। करुणानिधि ने एक बयान में कहा कि लोकसभा में बहुमत से विधेयक पारित होने के बावजूद सरकार ने अध्यादेश का विकल्प चुना क्योंकि ऊपरी सदन में उसके पास पर्याप्त संख्या नहीं थी।

करुणानिधि ने कहा, 'इन परिस्थितियों में सरकार की ओर से पिछले दरवाजे से अध्यादेश लाना संसदीय राजनीति का मजाक उड़ाना है। यह संसदीय शुचिता का उल्लंघन भी है।' दो दिन पहले बीमा कानून संशोधन अध्यादेश के जरिये सरकार ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत की है।

पढ़ें: बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने पर बनी सहमति

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