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बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने पर बनी सहमति

बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। बीमा कानून में संशोधन करने संबंधी विधेयक पर राज्यसभा की प्रवर समिति ने एफडीआइ सीमा 26 से बढ़ाकर 49 फीसद करने की मंजूरी दे दी है। वाम दलों, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और

By Manoj YadavEdited By: Published: Wed, 10 Dec 2014 08:15 PM (IST)Updated: Wed, 10 Dec 2014 08:20 PM (IST)
बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने पर बनी सहमति

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। बीमा कानून में संशोधन करने संबंधी विधेयक पर राज्यसभा की प्रवर समिति ने एफडीआइ सीमा 26 से बढ़ाकर 49 फीसद करने की मंजूरी दे दी है। वाम दलों, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और जदयू ने इसका विरोध किया है, लेकिन कांग्रेस का समर्थन मिलने की वजह से अब इस विधेयक के पारित होने के आसार काफी बढ़ गए हैं। प्रवर समिति की रिपोर्ट को बुधवार को राज्यसभा के पटल पर रखा गया।

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सरकारी सूत्रों ने बताया कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो कैबिनेट से इस विधेयक पर दोबारा अगले हफ्ते मंजूरी ली जाएगी। उसके तुरंत बाद इसे राज्यसभा से पारित करवाने की कोशिश होगी। राज्यसभा में कांग्रेस की मदद से इस बिल के पारित होने में कोई अड़चन नहीं होनी चाहिए। लोकसभा में राजग सरकार का वैसे भी पर्याप्त संख्या बल है। एफडीआइ सीमा बढ़ाने को लेकर राजग सरकार का यह तीसरा फैसला होगा, जिसकी जमीन पूर्व संप्रग सरकार के कार्यकाल में ही तैयार हो गई थी। बहरहाल, इस फैसले से देश के बीमा क्षेत्र में 25,000 करोड़ रुपये का नया निवेश आने की संभावना जताई जा रही है। तमाम बीमा कंपनियों ने इसका स्वागत किया है।

विदेशी बीमा कंपनियों को घरेलू बीमा फर्मो में निवेश सीमा बढ़ाने के मामले में प्रवर समिति ने कहा है कि यह 49 फीसद तक हो सकती है। इसमें सीधे तौर पर विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी के अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों, प्रवासी भारतीयों की भागीदारी भी शामिल होगी। समिति ने ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई अहम सुझाव दिए हैं। खास तौर पर ग्राहक सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। ऐसा नहीं करने वाली बीमा फर्मो के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही गई है।

समिति ने स्वास्थ्य बीमा देने वाली कंपनियों के चुकता पूंजी आधार को मौजूदा 100 करोड़ रुपये बनाये रखने की सिफारिश की है। बीमा एजेंटो के कमीशन को लेकर भी कुछ सुझाव दिए हैं। बीमा क्षेत्र के नियामक इरडा को कहा गया है कि वह बाजार को देखते हुए बीमा एजेंटों का कमीशन तय करे।


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