New Parliament: नया संसद भवन एक भारत-श्रेष्ठ भारत का नायाब उदाहरण, ये हैं इसकी पांच बड़ी खूबियां

New Parliament Building नए संसद भवन में प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगवाई गई जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से मंगवाया गया था। लाल किला और हुमायूं के मकबरे में भी इस बलुआ पत्थर का इस्तेमाल हुआ था।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Mon, 29 May 2023 06:30 AM (IST) Updated:Mon, 29 May 2023 06:59 AM (IST)
New Parliament: नया संसद भवन एक भारत-श्रेष्ठ भारत का नायाब उदाहरण, ये हैं इसकी पांच बड़ी खूबियां
New Parliament: नया संसद भवन एक भारत-श्रेष्ठ भारत का नायाब उदाहरण, ये हैं इसकी पांच बड़ी खूबियां

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश की प्राचीन संस्कृति के साथ मौजूद वक्त की जरूरतों के हिसाब से बना नया संसद भवन आधुनिकता और सांस्कृतिक विरासत का बेजोड़ संगम है। नया संसद भवन एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को दर्शाता है। इस नए भवन के लिए प्रयुक्त सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से मंगवाई गई है। नए संसद भवन के निर्माण में देश के करीब-करीब हर प्रांत की विशिष्ट वस्तुओं का उपयोग किया गया है । एक तरह से लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए पूरा देश एक साथ आया।

नए संसद भवन में प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगवाई गई जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से मंगवाया गया था। लाल किला और हुमायूं के मकबरे में भी इस बलुआ पत्थर का इस्तेमाल हुआ था। केशरिया हरा पत्थर उदयपुर से, लाल ग्रेनाइट अजमेर के पास लाखा से और सफेद संगमरमर राजस्थान के अंबाजी से मंगवाया गया है। लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में फाल्स सीलिंग के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है जबकि नए भवन का फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था । इमारत पर लगी पत्थर की जाली का काम राजस्थान के राजनगर और नोएडा से मंगवाया गया था।

अशोक प्रतीक के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और जयपुर से मंगवाई गई थी। लोकसभा और राज्यसभा कक्षों की विशाल दीवारों पर अशोक चक्र और संसद बाहरी हिस्से में लगी सामग्री को इंदौर से लाया गया था। नई संसद भवन के निर्माण में काम आने वाली रेती - रोड़ी (एम- सैंड) हरियाणा के चरखी दादरी से मंगवाई गई थी। एम- सैंड को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है क्योंकि इसका निर्माण बड़े कठोर पत्थरों यानी ग्रेनाइट को पीसकर किया जाता है। वैसे निर्माण में काम आने वाला रेत आमतौर पर नदी से निकाला जाता है। निर्माण में उपयोग की जाने वाली फ्लाई ऐश ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थीं जबकि पीतल के काम के लिए अहमदाबाद से सेवाएं ली गईं।

जानिये अपनी नई संसद की खूबियां

• त्रिकोणीय आकार का नया संसद भवन, जो नए भारत की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप है।

• त्रिकोणीय आकार के चार मंजिला नए संसद भवन का निर्माण क्षेत्र करीब 64,500 वर्ग मीटर है, जिसमें कुल छह द्वार हैं, इसमें तीन मुख्य द्वार हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार, इसमें वीआइपी, सांसद और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार होंगे।

• नए संसद भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान हाल, सांसदों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग की भी व्यवस्था की गई है।

• लोकसभा कक्ष में राष्ट्रीय पक्षी मोर की अद्भुत कलाकृति तो राज्यसभा कक्ष में राष्ट्रीय पुष्प कमल की कलाकृति सदन के सौंदर्य को निखार रही है।

• करीब 1200 करोड़ रुपये के अनुमानित लागत से बने नए संसद भवन में लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के तो राज्यसभा कक्ष में 345 सदस्यों के बैठने की क्षमता है। संसद के संयुक्त सत्र के दौरान लोकसभा कक्ष में 1280 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है।

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