Positive India : कुक स्टोव्स को किफायती, इको-फ्रेंडली और हेल्दी बनाएगी यह तकनीक

स्वच्छ खाना पकाने से जुड़ी ऊर्जा का निरंतर उपयोग कई कारकों से प्रभावित होता है- जैसे ईंधन की पहुंच ईंधन की लागत प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में उपभोक्ता जागरूकता आदि। इसलिए स्वच्छ खाना पकाने के ऊर्जा समाधान को विविध पहलुओं से मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 08:26 AM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 08:30 AM (IST)
Positive India : कुक स्टोव्स को किफायती, इको-फ्रेंडली और हेल्दी बनाएगी यह तकनीक
प्रो. पी. मुथुकुमार ने शोधकर्ताओं के साथ मिलकर पोरस रेडियंट बर्नर्स का विकास किया है, जिसमें एडवांस दहन तकनीक है।

नई दिल्ली, जेएनएन। कुक स्टोव्स को इस नई तकनीक के माध्यम से किफायती, इको-फ्रेंडली और हेल्दी बनाया जा सकेगा। यह तकनीक प्रो. पी. मुथुकुमार के नेतृत्व में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने विकसित की है। इन कुक स्टोब्स में उपयोग किए जाने वाले बर्नर पोरस मीडियम दहन (पीएमसी) तकनीक पर आधारित हैं। विकास के निष्कर्षों का पेटेंट भी कराया गया है।

स्वच्छ खाना पकाने से जुड़ी ऊर्जा का निरंतर उपयोग कई कारकों से प्रभावित होता है- जैसे ईंधन की पहुंच, ईंधन की लागत, प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में उपभोक्ता जागरूकता आदि। इसलिए, स्वच्छ खाना पकाने के ऊर्जा समाधान को विविध पहलुओं से मूल्यांकन किया जाना चाहिए। खाना पकाने के ऊर्जा समाधान के लिए प्रभावी और इको-फ्रेंडली कुक स्टोव्स की जरूरत है। सालों से इस पर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं।

प्रो. पी. मुथुकुमार ने अपनी टीम के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर पोरस रेडियंट बर्नर्स का विकास किया है, जिसमें सबसे एडवांस दहन तकनीक का प्रयोग किया है। इस तकनीक को पोरस मीडियम दहन तकनीक के नाम से जाना जाता है।

गौरतलब है कि लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में हाल ही में प्रकाशित लेख में बताया गया है कि घरेलू प्रदूषण के कारण 0.65 प्रतिशत मौतें हुईं, जो भारत में होने वाली कुल मौतों का 6.5% है। घरेलू वायु प्रदूषण मुख्य रूप से प्रदूषणकारी खाना पकाने के ईंधन और अकुशल कुकस्टोव के उपयोग के कारण होता है।

ये हैं खूबियां

-स्वदेशी तौर पर विकसित कुकस्टोव्स ऊर्जा-बचत और उत्सर्जन समेत सभी तीन मोर्चों पर असरदार हैं।

-कीमत के लिहाज से भी उपभोक्ताओं के लिए काफी बेहतर है।

- नए बनाए गए पीआरबी को एलपीजी, बायोगैस और केरोसीन जैसे ईंधन के लिए घरेलू, सामुदायिक और कॉमर्शियल स्तर पर प्रभावी रूप से उपयोग किया जा सकता है।

-स्वच्छ खाना पकाने की ऊर्जा के मद्देनजर विकसित यह पीआरबी खाद्य सुरक्षा के साथ जलवायु परिवर्तन के मुद्दों का भी हल प्रस्तुत करता है।

-गैस चूल्हे से जुड़ी हानिकारक गैसों से होने वाली स्वास्थ्य परेशानियों का भी यह निदान करता है। 

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