केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा- दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में इन्फ्रा सेक्टर की भूमिका अहम

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि कंस्ट्रक्शन मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री देश के लिए महत्वपूर्ण है। सरकार का लक्ष्य भारत को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का है। इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में छठे बौमा कान एक्सपो का उद्घाटन के बाद गडकरी ने ये बातें कहीं।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Tue, 31 Jan 2023 09:31 PM (IST) Updated:Tue, 31 Jan 2023 09:31 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा- दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में इन्फ्रा सेक्टर की भूमिका अहम
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा- दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में इन्फ्रा सेक्टर की भूमिका अहम

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि कंस्ट्रक्शन मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री देश के लिए महत्वपूर्ण है। सरकार का लक्ष्य भारत को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का है। इसमें इन्फ्रा सेक्टर की बड़ी भूमिका है। पानी, पावर, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन को बेहतर किए बिना औद्योगिक निवेश को नहीं बढ़ाया जा सकता। रोजगार सृजन होने से ही गरीबी समाप्त होगी। मंगलवार को ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में छठे बौमा कान एक्सपो का उद्घाटन के बाद गडकरी ने ये बातें कहीं।

26 देशों के प्रदर्शक हो रहे हैं शामिल

प्रदर्शनी में 26 देशों के 600 से अधिक प्रदर्शक हिस्सा ले रहे हैं। प्रदर्शनी तीन फरवरी तक चलेगी। उन्होंने कहा कि पिछले नौ साल में उनके मंत्रालय ने 15 लाख करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत की हैं। भारत माला दो को स्वीकृति के लिए कैबिनेट को भेजा जा चुका है। इसके अंतर्गत 30 लाख करोड़ की परियोजनाएं पूरी की जाएंगी। खनन उद्योग को भी निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है।

खनन, पावर, ग्रीन पावर में निवेश की असीम संभावनाएं

गडकरी ने कहा कि आटो मोबाइल इंडस्ट्री 7.5 लाख करोड़ की है। इसे 15 लाख करोड़ करने का लक्ष्य है। इस उद्योग में साढ़े चार करोड़ नौकरी हैं। इसी तरह कंस्ट्रक्शन उद्योग में भी काफी संभावनाएं हैं। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कंस्ट्रक्शन उपकरण बाजार है। भारत को दुनिया की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन उपकरण इंडस्ट्री बनाने की चुनौती निर्माताओं के सामने है। उन्होंने कहा कि फ्यूल और प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या है। एक हजार करोड़ की परियोजनाओं में सौ करोड़ ईंधन पर खर्च होते हैं। ग्रीन एनर्जी से इसे चालीस करोड़ तक कम किया जा सकता है।

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