दो वर्ष के भीतर उप्र के हर घर में होगी बिजली

ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा के बीच सोमवार को होने वाली बैठक को अहम माना जा रहा है।

By Mohit TanwarEdited By: Publish:Sun, 26 Mar 2017 08:11 PM (IST) Updated:Sun, 26 Mar 2017 08:37 PM (IST)
दो वर्ष के भीतर उप्र के हर घर में होगी बिजली
दो वर्ष के भीतर उप्र के हर घर में होगी बिजली

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश चुनाव में बिजली को एक अहम मुद्दा बनाने वाली भाजपा पांच वर्ष नहीं, बल्कि दो वर्षो का लक्ष्य लेकर वादे को पूरा करना चाहती है। केंद्र भी जानता है कि देश के हर घर को बिजली देने के उसके लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश में भागीरथी प्रयास करने होंगे। लिहाजा प्रदेश में सरकार गठन के एक हफ्ते के भीतर ही केंद्र व राज्य के बीच बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए तालमेल शुरु हो गया है।

ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा के बीच सोमवार को होने वाली बैठक को इस नजरिए से अहम माना जा रहा है। इस बात की जानकारी स्वयं गोयल ने दी कि, 'केंद्र राज्य सरकार के साथ मिल कर उत्तर प्रदेश के सभी घरों को दो वर्षों के भीतर बिजली से जोड़ने की योजना बनाएगी। राज्य में अभी 1.86 करोड़ घरों में बिजली नहीं है।'

दरअसल, उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए केंद्र सरकार ज्यादा परेशान है। इसकी वजह यह है कि वह देश के सभी घरों को बिजली देने का पूर्व निर्धारित लक्ष्य वर्ष 2021 से घटा कर 2019 कर चुकी है। कोशिश यह है कि अगले आम चुनाव से पहले हर घर में नहीं तो कम से हर गांव के अधिकांश घरों को बिजली से जोड़ दिया जाए। ऐसे में अगर उत्तर प्रदेश पिछड़ता है तो पूरे देश के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी उत्तर प्रदेश में हर घर को बिजली कनेक्शन देने का काम काफी पीछे चल रहा है।

पिछले साल तक के आंकड़े बताते हैं कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के 2.54 करोड़ घरों में मात्र 60.54 लाख घरों में ही बिजली कनेक्शन है। दूसरी तरफ शहरी क्षेत्रों के 75 लाख आवासों में से 61 लाख आवासों को बिजली कनेक्शन मिला हुआ है।

ऊर्जा मंत्री के मुताबिक अभी 1.86 करोड़ घरों में बिजली नहीं है। राज्य की बिजली वितरण कंपनियों पर तकरीबन 60 हजार करोड़ रुपये का ऋण है। ट्रांसमिशन व वितरण से होने वाली हानि के मामले में उत्तर प्रदेश की स्थिति देश के सबसे बदतर राज्यों में हैं। मार्च, 2016 तक राज्य में 29.3 फीसद तक बिजली की हानि ट्रांसमिशन व वितरण से होती थी। कहने की जरुरत नहीं है कि नई सरकार को राज्य में बिजली की चोरी रोकने और हर बिजली कनेक्शन से बिल वसूलने के लिए बड़ी राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी।

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