गुस्ताख चीन ने भारतीय जवानों को अपनी ही सीमा में गश्त से रोका

जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ की घटनाएं लगातार जारी हैं। इसके साथ ही अब वह ऐसी रणनीति अपना रही है कि भारतीय फौज उस इलाके के अपने सीमा क्षेत्र में भी गश्त नहीं लगा सके।

By Edited By: Publish:Mon, 05 Aug 2013 05:53 AM (IST) Updated:Mon, 05 Aug 2013 12:14 PM (IST)
गुस्ताख चीन ने भारतीय जवानों को अपनी ही सीमा में गश्त से रोका

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ की घटनाएं लगातार जारी हैं। इसके साथ ही अब वह ऐसी रणनीति अपना रही है कि भारतीय फौज उस इलाके के अपने सीमा क्षेत्र में भी गश्त नहीं लगा सके।

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चीन का यह आक्रामक रुख तब दिखा जब पिछले हफ्ते भारतीय सेना ने लद्दाख के उत्तरी क्षेत्र में ट्रेड जंक्शन इलाके से 14 किलोमीटर ऊपर वास्तविक नियंत्रण रेखा [एलएसी] से लगी अपनी दो चौकियों के लिए गश्ती अभियान 'ऑपरेशन तिरंगा' शुरू किया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय गश्ती दल को चीन की सेना ने ऊपर से भारी व हल्के वाहनों से आकर रोक दिया।

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भारतीय दल को चीन की सेना ने 'यह चीनी क्षेत्र है' का बैनर दिखाकर रोका और कहा कि वह दल अपनी चौकियों के लिए आगे नहीं जा सकता। यह भी बताते हैं कि भारतीय दल को रोकते समय चीन की सेना आक्रामक रुख अपनाए हुए थी जबकि भारतीय गश्ती दल पूरी तरह अपने सीमा क्षेत्र में था। बताया जाता है कि ये चौकियां भारतीय सीमा क्षेत्र के काफी अंदर हैं। इसके बावजूद इस साल अप्रैल से अब तक 21 बार प्रयास करने के बाद सिर्फ दो बार भारतीय सेना अपना अभियान पूरा कर सकी है।

चीन की सेना ने इस क्षेत्र के ऊपरी इलाके में एक ऐसी निगरानी चौकी बना ली है कि जिससे वह भारतीय सेना की गतिविधियों पर हमेशा नजर रखती है। जैसे ही भारतीय गश्ती दल रवाना होने के लिए तैयार होता है चीन की सेना उसे बीच में ही रोक कर वापस भेज देती है। भारतीय सेना चुसुल में होने वाली दोनों देशों के सुरक्षा बलों की अगली बैठक (बीपीएम) में उठाएगा। नार्थ लद्दाख सेक्टर के देपसांग और दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) इलाके में ही चीन ने इस साल 15 अप्रैल से 21 दिनों तक भारतीय क्षेत्र पर कब्जा जमाए रखा था और दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने तंबू गाड़े हुए थीं।

27 जुलाई को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई सीमा कर्मी बैठक (बीपीएम) में भारत ने चीन द्वारा एलएसी के निकट टावर का निर्माण करने पर आपत्ति दर्ज कराई थी।

दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत एलएसी के निकट कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता। भारतीय आपत्ति पर चीन ने इसे स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए मौसम का हाल बताने वाला टावर बताकर पल्ला झाड़ लिया है जबकि जानकारों का कहना है कि यह पूरी तरह से सेना के उपयोग के लिए है।

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