सुविधा के साथ-साथ भाईचारा भी बढ़ा रही कार पूलिंग

एक हाउसिंग सोसायटी के कुछ लोगों ने कार-पूलिंग की शुरुआत की। आज यह पहल न सिर्फ 250 से ज्यादा लोगों की सुविधा, बल्कि उनके बीच भाईचारे का भी माध्यम बन रही है।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Sat, 27 Aug 2016 05:34 PM (IST) Updated:Sat, 27 Aug 2016 05:51 PM (IST)
सुविधा के साथ-साथ भाईचारा भी बढ़ा रही कार पूलिंग

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तब ऑड-इवेन फार्मूले पर सोचा भी नहीं होगा, जब मुंबई की एक हाउसिंग सोसायटी के कुछ लोगों ने कार-पूलिंग की शुरुआत की। आज यह पहल न सिर्फ 250 से ज्यादा लोगों की सुविधा, बल्कि उनके बीच भाईचारे का भी माध्यम बन रही है। यह मुहिम ट्रैफिक और प्रदूषण कम करने में मददगार हो रही है, सो अलग।

मुंबई के उपनगर कांदीवली की एक हाउसिंग सोसायटी व्हिस्परिंग पाम में रहनेवाले संतोष शेट्टी ने सालभर पहले अपनी ही सोसायटी के विलास कान्याल के साथ मिलकर कार-पूलिंग (कार में सहयात्रा) की शुरुआत की। अनुभव अच्छा रहा तो जल्दी ही सोसायटी के सात लोग इसमें जुड़ गए। एक व्हाट्सएप ग्रुप बन गया।

अब किसी कारवाले व्यक्ति को यदि सुबह 8.15 बजे सांताक्रूज (पश्चिम) की ओर जाना है तो वह यह जानकारी एक नीले बिंदु के साथ व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट कर देता है। दूसरी ओर किसी बिना कारवाले व्यक्ति को अंधेरी की ओर निकलना है, तो वह लाल बिंदु के साथ यह जानकारी पोस्ट कर देता है। निर्धारित समय पर बिना कारवाला सदस्य सोसायटी में निर्धारित स्थान पर आकर कारवाले सदस्य से मिल जाता है।

इस प्रकार एक कार में तीन-चार लोग आराम से कांदीवली से दक्षिण मुंबई या बांद्रा चले जाते हैं। लेकिन सहयोग के आधार पर चल रही इस मुहिम में पैसे का कोई लेन-देन नहीं होता।

सालभर के अंदर इस पहल से करीब 250 लोग जुड़ चुके हैं। चूंकि व्हाट्सएप ग्रुप में 256 से ज्यादा लोग नहीं जुड़ सकते, इसलिए कांदीवली व्हिस्परिंग पाम सोसायटी के कार पूलिंग ग्रुप ने अब एक एप शुरू करने की तैयारी कर ली है।

'लिफ्ट करा दे' नामक इस एप के जरिये न सिर्फ व्हिसपरिंग पाम सोसायटी के लोग इसका फायदा ले सकेंगे, बल्कि दूसरे क्षेत्रों के लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा। संतोष शेट्टी बताते हैं कि शुरुआत में लोगों को इस गु्रप का हिस्सा बनने में थोड़ी झिझक थी। खासतौर से महिलाओं को। लेकिन एक-दूसरे से इस सुविधा के बारे में जानकारी मिलने पर कारवां बनता गया।

समूह से जुड़े अरुण प्रसाद बताते हैं कि अब बात सिर्फ कार-पूलिंग तक ही सीमित नहीं है। साथ आते-जाते लोगों में प्रगाढ़ता भी बढ़ती है, जिससे कई बार लोग एक-दूसरे की समस्याएं सुलझाने में भी मददगार साबित होते हैं। कई बार तो समान व्यवसाय के लोगों की व्यावसायिक डीलिंग का जरिया भी यह कार पूलिंग बन जाती है।

कुछ युवा अब कार-पूलिंग की तर्ज पर बाइक-पूलिंग भी करने लगे हैं। मुंबई में कांदीवली-बोरीवली से चर्चगेट पहुंचने में कई बार ढाई-तीन घंटे लग जाते हैं। कोई साथ होता है, तो सफर बोरिंग नहीं होता।

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