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भारत में फल-फूल रहा सरोगेसी कारोबार

व्यावसायिक सरोगेसी के लिए भारत को तरजीह दी जाती है। इसके बाद थाइलैंड और अमेरिका का नंबर आता है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2016 03:09 AM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2016 01:35 PM (IST)

नई दिल्ली। व्यावसायिक सरोगेसी के लिए भारत को तरजीह दी जाती है। इसके बाद थाइलैंड और अमेरिका का नंबर आता है। रूस में किराये की कोख के लिए सरोगेट मदर चाहने वालों को दस से बीस लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं, जबकि भारत में दो लाख रुपये तक में ही सरोगेट मदर मिल जाती है।

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इस तरह बनती हैं सरोगेट मदर
सरोगेट एक्सपर्ट्स के मुताबिक किसी महिला में गर्भधारण की संभावना न के बराबर होने पर सरोगेसी तकनीक अपनाई जाती है। इसमें पुरुष के शुक्राणु और महिला के अंडाणु को लेकर इनक्यूबेटर में गर्भ जैसा माहौल दिया जाता है। भ्रूण तैयार होने पर उसे किसी तीसरी महिला में इंजेक्ट कर दिया जाता है। गर्भधारण करने वाली यह महिला सरोगेट मदर होती है।

गुजरात के आणंद में "बेबी फैक्ट्री"
गुजरात के आणंद में डॉक्टर नयन पटेल एक अस्पताल चलाती हैं। इसे बेबी फैक्ट्री के नाम से जाना जाता है। यहां सरोगेट मदर नौ माह तक रहती हैं और इसी अस्पताल में बच्चों को जन्म देती हैं। बच्चा हो जाने के बाद इन महिलाओं को घर जाने की इजाजत होती है। अगर यहां कोई महिला सरोगेसी से जुड़वां बच्चों को जन्म देती है, तो उसे करीब सवा छह लाख रुपये तक मिल जाते हैं। लेकिन, किसी कारण से गर्भ गिर जाने पर महज 38 हजार रुपये देकर महिला को छुट्टी दे जाती है। सफल गर्भावस्था के लिए अस्पताल बच्चा चाहने वाले दंपती से करीब 18 लाख रुपये लेता है।

महाराष्ट्र अग्रणी
भारत में सरोगेसी में महाराष्ट्र अग्रणी है। इसके बाद गुजरात, आंध्र प्रदेश और दिल्ली का नंबर आता है। भारत में सरोगेसी के इच्छुक लोगों में बड़ी संख्या विदेशियों की रहती है।

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