'आप' और कांग्रेस के साथ आने की आशंका से भाजपा चिंतित

दिल्ली में राजनीतिक अनिश्चितता दूर करने के लिए प्रदेश भाजपा को अब तक केंद्रीय नेतृत्व की ओर से किसी तरह का निर्देश नहीं मिला है, इससे असमंजस की स्थिति बरकरार है। इससे सबसे ज्यादा परेशान पार्टी के विधायक हैं। उनकी चिंता बढ़ने का एक प्रमुख कारण कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (आप) के फिर से हाथ मिलाने क

By manoj yadavEdited By: Publish:Sat, 01 Nov 2014 07:54 AM (IST) Updated:Sat, 01 Nov 2014 07:54 AM (IST)
'आप' और कांग्रेस के साथ आने की आशंका से भाजपा चिंतित

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में राजनीतिक अनिश्चितता दूर करने के लिए प्रदेश भाजपा को अब तक केंद्रीय नेतृत्व की ओर से किसी तरह का निर्देश नहीं मिला है, इससे असमंजस की स्थिति बरकरार है। इससे सबसे ज्यादा परेशान पार्टी के विधायक हैं। उनकी चिंता बढ़ने का एक प्रमुख कारण कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (आप) के फिर से हाथ मिलाने की संभावना है। हालांकि, उन्हें उम्मीद है कि अगले एक-दो दिन में दिल्ली के बारे में फैसला हो जाएगा, क्योंकि पिछले दिनों प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा था कि महाराष्ट्र के बाद दिल्ली के बारे में विचार होने की उम्मीद है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सरकार बनाने की संभावना तलाशने के लिए उपराज्यपाल को 11 नवंबर तक का समय दिया है। लेकिन भाजपा में अनिर्णय की स्थिति के कारण यह मामला लंबा खिंचता दिख रहा है। पार्टी हाईकमान की ओर से कोई संकेत नहीं मिलने के कारण प्रदेश भाजपा ने फिलहाल उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन, भाजपा विधायकों में इस स्थिति से बेचैनी बढ़ रही है। उनके अनुसार कांग्रेस के कई विधायकों के अलावा आप के भी कई विधायक भाजपा को समर्थन देने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसमें हो रही देरी से यह समीकरण बिगड़ सकता है।

पार्टी के एक वरिष्ठ विधायक का कहना है कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल कई बार सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर गलती की है। लोकसभा के चुनाव परिणाम आने के बाद वह उपराज्यपाल से मिलकर विधानसभा भंग नहीं करने की भी मांग कर चुके हैं। अब वह चुनाव कराने की मांग पर अड़े हैं।

पिछले महीने आप के एक विधायक की कांग्रेस विधायक से समर्थन मांगने संबंधी स्टिंग भी आ चुका है। इन स्थितियों में कांग्रेस के समर्थन से आप की सरकार बनने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसलिए पार्टी के आला नेताओं को दिल्ली के बारे में शीघ्र निर्णय लेना चाहिए।

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