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Ranchi पर बढ़ रहा खतरा, हर दस साल में तापमान में हो रहा .33 डिग्री सेल्सियस का इजाफा, अभी से संभलें नहीं तो...

Ranchi Temperature रांची व पूरे राज्य के तापमान में हर दस साल में औसतन .33 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो रही है। यदि यह आंकड़ा 1 या डेढ़ डिग्री तक बढ़ जाए तो आपात स्थिति उत्पन्न हो जाएगी इसलिए वक्‍त रहते सावधानी बरतने की आवश्‍यकता है। रांची में पराबैंगनी किरणों यानी यूवी रे का असर भी लगातार बढ़ रहा है।

By kumar Gaurav Edited By: Arijita Sen Published: Tue, 30 Apr 2024 12:13 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2024 12:13 PM (IST)
हरेक दस वर्षों में .33 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा रांची का तापमान

जासं, रांची। राजधानी रांची समेत पूरे राज्य का मौसम लगातार बदल रहा है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची से प्राप्त आंकड़ों की बात करें तो हरेक दस वर्षों में राजधानी व पूरे राज्य के तापमान में औसतन .33 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो रही है।

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रांची में पैदा हो सकती है आपात स्थिति

मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद बताते हैं कि 1 जनवरी 2023 को जारी इस आंकड़े में 1 या डेढ़ डिग्री तक की बढ़ोत्तरी हो जाए तो आपात स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। इस वर्ष भी होली से पूर्व व बाद में तापमान में उतार-चढ़ाव देखा गया। उन्होंने कहा कि मौसम में यह बदलाव यूं ही नहीं हो रहा है। पराबैंगनी किरणों यानी यूवी रे का असर भी लगातार बढ़ रहा है।

यूवी-रे के दिए गए समय 11 से 3 बजे तक बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी गई है। राजधानी व आसपास के जिलों में लगातार सिमट रही हरियाली के कारण जहां पराबैंगनी किरणों का असर बढ़ रहा है वहीं रांची हीट-आइलैंड में परिवर्तित हो रही है। जलस्त्रोत सूख रहे हैं और शहर के अधिकांश हिस्सों में जलस्तर भी लगातार नीचे जा रहा है।

मौसम विज्ञान केंद्र रांची द्वारा जारी रिपोर्ट की बात करें तो वर्ष 1990 से 2020 तक माैसम में जबरदस्त बदलाव हुआ है। रांची के लिए औसत मासिक न्यूनतम तापमान 9.4 डिग्री सेल्सियस से 23.7 डिग्री सेल्सियस तक देखा गया वहीं औसत अधिकतम तापमान 24 डिग्री से 36.9 डिग्री सेल्सियस तक देखा गया है।

राजधानी में सिमट रही हरियाली

गैर सरकारी संगठन टोटल एंवायरमेंट अवेयरनेस मूवमेंट की सर्वे रिपोर्ट की माने तो रांची में पिछले तीन वर्षों में सड़क निर्माण सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के नाम पर करीब 80 हजार पेड़ काट दिए गए।

रांची के स्मार्ट सिटी में 1000 से ज्यादा पेड़ों की कटाई की गई। पिछले 70 वर्षों में शहरीकरण के नाम पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हुई और अब राजधानी का वन क्षेत्र घटकर करीब 20 प्रतिशत रह गया है यानी 70 वर्षों में सिर्फ रांची का वन क्षेत्र 32 प्रतिशत घटा है।

जहां हरियाली कम वहां गर्म हो रही रांची

रांची में खासकर मेन रोड, अपर बाजार, हिंदपीढ़ी, रातू रोड, सर्कुलर रोड, पिस्का रोड, कोकर, डोरंडा आदि जगह ज्यादा गर्म हो रहे हैं।

इन जगहों पर ऊंची इमारतों का होना एवं हरियाली का कम होना अहम वजह है। जब तक शहर में हरियाली रही एवं ऊंची इमारतें कम थी तब तक यहां के लोग हिट आइलैंड इफेक्ट से बचे रहे।

इससे इतर, रांची शहर में जिस तरह से आबादी, वाहन एवं ऊंची इमारतें बढ़ी हैं गर्मी का प्रभाव भी बढ़ा है। वाहनों के चलते ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

इस बढ़ती हुई गर्मी से सतही जल भी सूख गए हैं। जिस वजह से अब बादल बनने की प्रक्रिया धीमी हो गई है। अब जो भी बादल बन रहे हैं या तो वो कमजोर हैं या हिट आइलैंड इफेक्ट के कारण शहर से बाहर निकल जा रहे हैं।

हो रहा प्राकृतिक नुकसान

डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी युनिवर्सिटी रांची के डिपार्टमेंट आफ बाटनी की प्राध्यापिका डा. शालिनी लाल ने कहा कि लगातार हो रहे पेड़ों की कटाई से तापमान वृद्धि के अलावे मिट्टी प्रदूषण, जलस्त्रोत का सूखना, मिट्टी से सूक्ष्म तत्वों का नुकसान जैसी विषम परिस्थिति भी सामने आ रही हैं।

क्राॅप प्लांट गेहूं में स्टार्च भरने की क्षमता भी कम हो रही। आज से 15-20 वर्ष पूर्व रांची का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से कभी ऊपर नहीं गया। लेकिन मानवीय भूल ने पर्यावरण का संतुलन ही बिगाड़ दिया है। माइक्रो फ्लोरा ग्रोथ यानी मिट्टी के अंदर का जो वानस्पतिक जीवन है, उस पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है।

यह एक प्रकार का प्लांट नेटवर्क है जो मिट्टी के अंदर माइसीलियम नामक फंगस के कारण पनपता है जो एक पेड़ के जड़ से दूसरे पेड़ के जड़ को आपस में जोड़ता है और पौधों को सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ साथ नमी प्रदान करता है।

यह नेटवर्क आमतौर पर जंगलों में सर्वाधिक विकसित अवस्था में होता है। तापमान बढ़ने से पूरा पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ रहा है। बड़ी संख्या में पौधों के साथ साथ छोटे और सूक्ष्म जीवों का नुकसान हो रहा है।

ऐसा रहेगा राजधानी व पूरे राज्य का मौसम

मौसम विज्ञान केंद्र रांची द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार राजधानी व आसपास के जिलों में अगले चार दिनाें तक अधिकतम तापमान में कोई बड़े बदलाव की संभावना नहीं है। 4 मई तक आसमान साफ रहेगा और मौसम शुष्क बना रहेगा। इस दौरान तापमान में वृद्धि संभव है।

वहीं 5 मई को राज्य के उत्तर पूर्वी हिस्से यानी देवघर, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, गिरिडीह और साहिबगंज में कहीं कहीं हल्की वर्षा होने की संभावना है।

2 मई तक राज्य के बोकारो, धनबाद, जामताड़ा, देवघर, दुमका, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज, सरायकेला खरसावां, पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम, पलामू और गढ़वा में कहीं कहीं हीट-वेव का असर देखने को मिलेगा। इसे लेकर मौसम विभाग ने यलो अलर्ट भी जारी किया है।

सबसे कम सरायकेला का तापमान

पिछले 24 घंटे के मौसम की बात करें तो राज्य में कहीं कहीं हल्की वर्षा हुई है। सबसे अधिक वर्षा 3.4 मिमी पश्चिम सिंहभूम के मझगांव में हुई। वहीं गोड्डा और पाकुड़ में कहीं कहीं हीट-वेव का सर्वाधिक असर देखा गया।

सबसे अधिक अधिकतम तापमान 44.3 डिग्री सेल्सियस गोड्डा का जबकि सबसे कम न्यूनतम तापमान 22.8 डिग्री सेल्सियस सरायकेला का रिकार्ड किया गया है। राजधानी रांची का अधिकतम तापमान 38.7 डिग्री और न्यूनतम तापमान 24.9 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।

हमें हर हाल में प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा। इनका दोहन बंद करने के बाद ही हीट वेव के असर को कम किया जा सकता है। जलाशयों को फिर से जागृत करना होगा। कम हो रही हरियाली को बढ़ाना होगा। तब ही गर्मी के कहर से हम अपनी आने वाली पीढ़ी को बचा सकते हैं- नीतीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद, रांची।

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