आजम को जल्द मिलेगी आयोग से अनुमति : अखिलेश

राज्य सरकार के मंत्री मोहम्मद आजम खां और चुनाव आयोग के बीच छिड़ी रार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने मंत्री आजम के साथ खड़े हैं। चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाये जाने पर अखिलेश ने आजम खां का पक्ष लेते हुए कहा कि आयोग ने बिना जांच-पड़ताल किये भाजपा महासचिव अमित शाह से प्रतिबंध हटा लिया है। ह

By Edited By: Publish:Fri, 18 Apr 2014 07:56 PM (IST) Updated:Fri, 18 Apr 2014 07:58 PM (IST)
आजम को जल्द मिलेगी आयोग से अनुमति : अखिलेश

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार के मंत्री मोहम्मद आजम खां और चुनाव आयोग के बीच छिड़ी रार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने मंत्री आजम के साथ खड़े हैं। चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाये जाने पर अखिलेश ने आजम खां का पक्ष लेते हुए कहा कि आयोग ने बिना जांच-पड़ताल किये भाजपा महासचिव अमित शाह से प्रतिबंध हटा लिया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मुझे आयोग पर भरोसा है कि वह जल्द आजम खां को चुनाव प्रचार की अनुमति देगा।

शुक्रवार को सपा मुख्यालय में चुनाव प्रचार के लिए पार्टी द्वारा तैयार किये गये चार रथों को हरी झंडी दिखाने के बाद मुख्यमंत्री पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि इन रथों के जरिए सपा सरकार की उपलब्धियों को पार्टी गांव-गली तक बताएगी। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों का भी ब्योरा दिया। यह पूछे जाने पर कि चुनाव आयोग को आजम खां ने मुस्लिम विरोधी बताया है? अखिलेश ने सवाल काटते हुए पूछा कि क्या भाजपा मुस्लिम विरोधी नहीं है। भाजपा के पक्ष में आयोग ने एकतरफा फैसला दिया है। हम पार्टी की तरफ से आयोग में अपना पक्ष रखेंगे। अखिलेश ने आजम खां के पक्ष में दलील रखते हुए कहा कि उन्होंने कभी गलत बयानी नहीं की। बयान के अलग निहितार्थ निकाले गए। अखिलेश ने यहां तक कहा कि अगर हम यह कह देते कि कारगिल में परमवीर चक्र पाने वाला कौन है तो हम पर भी जातिवादी होने का आरोप लग जाता।

सपा के कई विधायकों के उमा भारती के संपर्क में होने के बयान पर अखिलेश ने कहा कि भाजपा के कई नेता तो हमारी पार्टी कार्यालय में भी आए। एक नेता ने तो अभी सुरक्षा के लिए संपर्क किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के जो नेता विधानसभा में आते नहीं, वे कैसे कह सकते हैं कि सपा विधायक उनके संपर्क में हैं। भाजपा नेताओं की गलत बयानी पर चुनाव आयोग को नोटिस देनी चाहिए। अखिलेश ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि भाजपा के कई नेता नहीं चाहते कि मोदी पीएम बने। इसलिए वह अलग-अलग ढंग के बयान दे रहे हैं।

मोदी व्यावहारिक होते तो शेरों की कुशलक्षेम पूछते : अखिलेश यादव और नरेंद्र मोदी के बीच शेरों को लेकर चल रही जुबानी जंग में अखिलेश ने रविवार ने नया राग छेड़ दिया। कहा कि मोदी अगर व्यावहारिक होते तो इटावा में सभा करने के बाद अपने शेरों की कुशलक्षेम पूछते। वह शेरों पर हक तो जताते, लेकिन उन्हें देखने भी नहीं गए कि किस हालत में हैं। अखिलेश ने कहा कि मैं तो शेरों की खबर लेता हूं और वे खूब मस्ती से खा-पी रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात में हमने लकड़बग्घे भेजे तो पहले मोदी स्वीकार नहीं कर रहे थे, लेकिन अब चुप होने का मतलब है कि स्वीकार कर लिए।

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