मोदी सरकार आने के बाद कम हुई हैं सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं

आमिर खान को भले ही देश में बढ़ती सांप्रदायिक असहिष्णुता के कारण देश छोड़ने तक पर विचार करना पड़ गया हो, लेकिन आंकड़े इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2015 09:13 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2015 09:42 PM (IST)
मोदी सरकार आने के बाद कम हुई हैं सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आमिर खान को भले ही देश में बढ़ती सांप्रदायिक असहिष्णुता के कारण देश छोड़ने तक पर विचार करना पड़ गया हो, लेकिन आंकड़े इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं। गृह मंत्रालय को राज्यों से मिले आंकड़ों के मुताबिक नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद देश में सांप्रदायिक झड़पों की संख्या कम हुई है। यहां तक कि मोदी के राज में बड़ी सांप्रदायिक हिंसा (पांच से अधिक मौत या 10 घायल) की एक भी घटना नहीं हुई है। संप्रग सरकार के दौरान 2013 में ऐसी दो और 2014 में एक घटना हो चुकी है।

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गृह मंत्रालय से संबंधित स्थायी संसदीय समिति में पेश करने के लिए तैयार आंकड़ों के अनुसार संप्रग सरकार के शासन काल में 2010 में सांप्रदायिक हिंसा की 701 घटनाएं हुई। इनमें 116 लोग मारे गए और 2138 घायल हुए थे। 2011 में इनमें कमी आई और कुल 580 हिंसक घटनाओं में 91 मारे गए व 1899 घायल हुए। लेकिन 2012 में इसमें फिर इजाफा हुआ। इस साल सांप्रदायिक हिंसा की कुल 668 घटनाएं दर्ज की गई, जिनमें 94 लोग मारे गए और 2117 घायल हुए। 2013 में यह आंकड़ा अपने चरम पर पहुंच गया। इस साल 823 घटनाओं में 133 लोग मारे गए और 2269 लोग घायल हुए थे।

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मोदी सरकार बनने के बाद भले ही असहिष्णुता को लेकर शोर बढ़ गया हो, लेकिन आंकड़ों को देखें तो तस्वीर बिल्कुल दूसरी दिखाई देती है। मोदी सरकार मई 2014 में सत्ता में आई थी। 2013 में 823 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं की तुलना में 2014 में केवल 644 घटनाएं ही दर्ज की गई। इनमें 95 लोग मारे गए और 1921 घायल हुए थे। वहीं इस साल अक्टूबर तक की आंकड़ों के मुताबिक हिंसा की 630 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इनमें 86 लोग मारे गए और 1899 घायल हुए।

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