पाकिस्‍तान के कोट लखपत जेल में 20 भारतीय कैदी पागल

पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में 20 से अधिक भारतीय कैदी पागल हो चुके हैं। ये कैदी बीते 20-25 साल से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की यातना सहने के बाद सुध-बुध खो चुके हैं। ये ज्यादातर चुप रहते हैं। कभी कभार चिल्लाते हैं कि नसीब के मारे हैं और जोर-जोर

By Sanjay BhardwajEdited By: Publish:Thu, 21 May 2015 08:51 AM (IST) Updated:Thu, 21 May 2015 09:07 AM (IST)
पाकिस्‍तान के कोट लखपत जेल में 20 भारतीय कैदी पागल

अमृतसर [अशोक नीर]। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में 20 से अधिक भारतीय कैदी पागल हो चुके हैं। ये कैदी बीते 20-25 साल से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की यातना सहने के बाद सुध-बुध खो चुके हैं। ये ज्यादातर चुप रहते हैं। कभी कभार चिल्लाते हैं कि नसीब के मारे हैं और जोर-जोर से रोने लगते हैं। यह खुलासा मंगलवार देर रात पाकिस्तान से रिहा होकर वतन लौटे बिहार के जिला गया के गांव नोनी, डाकखाना नीमसर थाना टिकारी निवासी मुंदर मांझी ने किया।

मांझी ने बताया कि कोट लखपत जेल में जम्मू के तिलक राज, जावेद, मकबूल व अहमदाबाद के कुलदीप कुमार के साथ उसकी भेंट हुई थी। इस जेल में पागल हो चुके कई कैदी अपना नाम व पता बताने में असमर्थ हैं, इसलिए पाकिस्तान सरकार उन्हें रिहा नहीं कर रही है। जब वह जेल में था तो पाकिस्तानी कैदियों ने उस पर नमाज पढ़ने के लिए दबाव डाला। उसने कहा कि वह हिंदू है और पूजा करेगा। इसके बाद उसकी सुन्नत करने के लिए उसे पकड़ लिया था। शोर मचाने पर उसे छोड़ दिया। वहां बंद कई भारतीय कैदी नमाज पढ़ते हैं और वे मुसलमान बन चुके हैं।

मांझी ने कहा कि अप्रैल, 2013 में वह काम ढूंढने के लिए अमृतसर आया था। रेलवे स्टेशन पर दो दिन भूखा बैठा रहा। फिर उसे एक किसान मिला। किसान ने कहा कि वह उसके खेतों में काम करे, उसे पेटभर खाना मिलेगा। वह किसान के साथ चला गया। उसे यह याद नहीं है कि किसान उसे कौन से गांव ले गया था। बस इतना याद है कि गांव सीमा के निकट था।

दो माह बाद जब उसने किसान से पैसे मांगे तो उसने इन्कार कर दिया और कहा कि वह रोटी खा रहा है तो पैसे की क्या जरूरत है। जब उसने नौकरी छोड़ने के लिए कहा तो उसकी पिटाई की गई। इसके बाद वह वहां से भाग गया और कब पाकिस्तान चला गया, इसकी जानकारी उसे नहीं है। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे गिरफ्तार कर लिया। 15 दिन तक पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने उससे कड़ी पूछताछ की। उसे टार्चर किया गया। अदालत ने छह महीने की सजा दी, लेकिन दो वर्ष बाद उसे रिहा किया गया।

देर रात रिहा होने वाला दूसरा कैदी मोहम्मद कासिम गांव माणा पट्टी, थाना बासु पट्टी जिला मधुबनी बिहार का है। वह 25 वर्ष की सजा काट कर लौटा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की यातना सहकर वह लगभग आधा पागल हो चुका है। वह यह नहीं बता पाया कि वह पाकिस्तान कैसे पहुंचा। बस इतना कहा कि वह अपने भाई को मिलने पाकिस्तान गया था। उसने इशारों में बताया कि उसकी पीठ व बाजू पर पाकिस्तानियों ने बहुत मारा था।

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