Phone Tapping Case: पुणे पुलिस ने आइपीएस रश्मि शुक्ला मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाई

Phone Tapping Case महाराष्ट्र खुफिया विभाग की पूर्व प्रमुख रश्मि शुक्ला के विरुद्ध दर्ज एक मामले में पुणे पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट लगा दी है। यह मामला गैर कानूनी तरीके से कांग्रेस नेता नाना पटोले का फोन टैप करने के आरोप में दर्ज किया गया था।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Fri, 07 Oct 2022 08:51 PM (IST) Updated:Fri, 07 Oct 2022 08:51 PM (IST)
Phone Tapping Case: पुणे पुलिस ने आइपीएस रश्मि शुक्ला मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाई
पुणे पुलिस ने आइपीएस रश्मि शुक्ला मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाई। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। Phone Tapping Case: महाराष्ट्र खुफिया विभाग की पूर्व प्रमुख रश्मि शुक्ला (Rashmi Shukla) के विरुद्ध दर्ज एक मामले में पुणे पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट लगा दी है। यह मामला गैर कानूनी तरीके से कांग्रेस नेता नाना पटोले का फोन टैप करने के आरोप में दर्ज किया गया था।

नाना पटोले का फोन गैरकानूनी तरीके टैप करवाने का था आरोप

पुणे पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, पुणे के बंदगार्डन पुलिस थाने में आइपीएस रश्मि शुक्ला के विरुद्ध यह मामला महाविकास आघाड़ी के कार्यकाल में फरवरी, 2022 में दर्ज किया गया था। इंडियन टेलीग्राफ एक्ट की धारा 26 के तहत दर्ज इस मामले में आरोप था कि रश्मि शुक्ला ने पूर्व की भाजपा सरकार के कार्यकाल में नाना पटोले का फोन गैरकानूनी तरीके टैप करवाया। अधिकारी के अनुसार, यदि कोई मामला गलती से दर्ज किया गया हो, या आपराधिक न होकर दीवानी मामला हो, तो अदालत की अनुमति से उसे बंद किया जा सकता है। इस मामले को भी बंद करने के लिए अदालत में क्लोजर रिपोर्ट लगाई गई है।

रश्मि शुक्ला पर भी दर्ज है मुंबई में अवैध फोन टैपिंग का मामला

अदालत द्वारा इसे स्वीकार करने के बाद इस मामले की जांच बंद कर दी जाएगी। रश्मि शुक्ला पर मुंबई में भी अवैध फोन टैपिंग का एक मामला साइबर पुलिस थाने में दर्ज था। अब इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई है। महाविकास आघाड़ी के ही कार्यकाल में दर्ज इस मामले में भी आरोप लगाया गया था कि रश्मि शुक्ला ने अपने अधिकारियों को अंधेरे में रखते हुए सत्ता पक्ष के नेताओं व कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के फोन टैप करवाए।

नवाब मलिक ने साधा था निशाना

गौरतलब है कि नवाब मलिक ने कहा था कि आइपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला ने फोन टैप की अनुमति लेते समय राज्य सरकार को गुमराह किया था। आइपीएस अधिकारी ने बांबे हाई कोर्ट को बताया था कि महाराष्ट्र सरकार ने पिछले वर्ष उन्हें पुलिस तबादले और पोस्टिंग में भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करने के लिए कुछ फोन नंबरों को इंटरसेप्ट करने की अनुमति दी थी। मलिक ने कहा कि 1988 बैच की आइपीएस अधिकारी शुक्ला ने फोन टैप की अनुमति लेने का कारण देशद्रोह बताया था। सरकार को गुमराह कर अनुमति ली गई थी।

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