बरामद विस्फोटक से उड़ाई जा सकती थी चार मंजिला इमारत

लातेहार लातेहार जिले के हेरहंज थाना अंतर्गत मारी जौबार एवं पदरमटोला के जंगल व पहाड़

By JagranEdited By: Publish:Sun, 31 Mar 2019 10:29 PM (IST) Updated:Sun, 31 Mar 2019 10:29 PM (IST)
बरामद विस्फोटक से उड़ाई जा सकती थी चार मंजिला इमारत
बरामद विस्फोटक से उड़ाई जा सकती थी चार मंजिला इमारत

लातेहार : लातेहार जिले के हेरहंज थाना अंतर्गत मारी, जौबार एवं पदरमटोला के जंगल व पहाड़ी इलाके में नक्सलियों के बरामद जखीरे में जिलेटिन टियूब नामक विस्फोटक इतना अधिक शक्तिशाली है कि इससे तीन से चार मंजिला इमारत को विस्फोट से उड़ाया जा सकता है। अमोनियम नाइट्रेट से लेटर बम से लेकर किताब बम और बोतल बम तक बनाए जा सकते हैं। इसकी किसी भी आकार में ढल जाने की खूबी के चलते ही इसे इम्प्रोवाइ•ा एक्सप्लोसिव डिवाइज भी कहते हैं। इसकी खूबी यह है कि इस जिस किसी पात्र में रखा जाए व उसी का आकार ले लेता है। नक्सली इसकी मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए सिल्वर के बीड और जले हुए ऑइल का इस्तेमाल करते हैं। सामान्य तौर पर किसी भी कनस्तर में डालकर इसे जमीन के नीचे गाड़ दिया जाता है। तार के माध्यम से केवल पेंसिल सेल के जरिए ही इसमें विस्फोट किया जा सकता है। इसके लिए केवल एक आदमी की ही आवश्कता होती है। ----ऐसे करते हैं जिलेटिन का इस्तेमाल :

जिलेटिन काफी सस्ता विस्फोटक है, ये नाइट्रोसेल्यूलोज या गन कॉटन है। जिसे नाइट्रोग्लिसरीन या नाइट्रोग्लायकोल में तोड़कर इसमें लकड़ी की लुगदी या शोरा मिलाया जाता है। यह धीरे-धीरे जलता है और बिना डेटोनेटर्स के विस्फोट नहीं कर सकता। जिलेटिन से बनी छड़ों का उपयोग गिट्टी क्रशर पर चट्टानों को तोड़ने के लिए किया जाता है। पहाड़ों आदि को तोड़ने के लिए भी विस्फोटक के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। डेटोनेटर की मदद से बम को सक्रिय किया जाता है, सामान्य भाषा में इसे बम का ट्रिगर भी कह सकते हैं। इसका इस्तेमाल गड्ढा खोदकर छुपाए गए बमों आईईडी (इम्प्रोवाइज एक्सप्लोजिव डिवाइसेस) में किया जाता है। डेटोनेटर से बम की विस्फोटक क्षमता बढ़ जाती है। नक्सली आम तौर पर ऐसे ही बमों का उपयोग करते हैं। ----चुनाव को लेकर रूट, स्कूल में ठहराव और पेट्रोलिग का पूर्व प्लान से फजीहत :

आम तौर पर पुलिस आपरेशन आदि करने के लिए पूर्व प्लान को लेकर फजीहत नहीं झेलती। लेकिन चुनाव के लिए पूर्व घोषित रूट, स्कूल में ठहराव और पेट्रोलिग आदि के रास्ते तय होने के कारण पुलिस कर्मी नक्सलियों की टारगेट में आते रहे हैं। नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कुछ पुलिस पदाधिकारियों ने बताया कि हमारी प्लानिग चुनाव के दौरान सरकारी तंत्र से मेल नहीं खाती, फिर हालात के अनुसार सामंजस्य बिठाकर कार्य करना पड़ता है। ऐसे में चुनाव पूर्व के दौरान इतनी बड़ी बरामदगी से सरकारी तंत्र अंदर तक हिल गया है, वहीं पुलिस के आला अफसर शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए विशेष कार्ययोजना पर जुट गए हैं। जाहिर है नक्सलियों के सभी नापाक मंसूबे विफल करने के लिए पुलिस की प्लानिग और ठोस एवं गोपनीय बन रही होगी।

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