बेकारबांध में चला अतिक्रमण, नाली नहीं बनने से दुकानदारों में आक्रोश

धनबाद : बेकारबांध राजेंद्र सरोवर के सुंदरीकरण को लेकर सोमवार को लेकर अतिक्रमण चलाया ग

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Feb 2019 06:54 AM (IST) Updated:Tue, 19 Feb 2019 06:54 AM (IST)
बेकारबांध में चला अतिक्रमण, नाली नहीं बनने से दुकानदारों में आक्रोश
बेकारबांध में चला अतिक्रमण, नाली नहीं बनने से दुकानदारों में आक्रोश

धनबाद : बेकारबांध राजेंद्र सरोवर के सुंदरीकरण को लेकर सोमवार को लेकर अतिक्रमण चलाया गया। बेकारबांध के किनारे अतिक्रमण कर बनाई गई दुकानें हटाई गई। दुकानों से आगे शेडिंग हटाई गई। जिला परिषद की अर्धनिर्मित आधा दर्जन दुकानों को ध्वस्त किया गया। अतिक्रमण के दौरान दुकानदारों में नाली की व्यवस्था नहीं किए जाने को लेकर आक्रोश भी दिखा। बेकारबांध परिसर में अवस्थित सार्वजनिक शौचालय को ध्वस्त कर दिया गया। नगर निगम बेकारबांध का आठ करोड़ से सुंदरीकरण कर रहा है। 22 फरवरी को मुख्यमंत्री रघुवर दास इसका उद्घाटन कर सकते हैं, जिसे देखते हुए नगर निगम युद्ध स्तर पर बचे हुए कार्य पूरा करवाने में लग गया है। सोमवार दिन में जेसीबी से जिला परिषद की अर्ध निर्मित दुकानें ध्वस्त की गई। दो साल पहले सुंदरीकरण कार्य शुरू होने के समय इन अर्धनिर्मित दुकानों को लेकर निगम और जिला परिषद में विवाद हुआ था। सुंदरीकरण में ये अर्ध निर्मित दुकानें बाधा बनी हुई थीं, जिसे सोमवार को जेसीबी लगाकर तोड़ दिया गया। इसके अलावा बेकारबांध परिसर के अंदर अवस्थित दुकानों की शेडिंग भी हटा दी गई।

दुकानदारों की मांग निगम नाली का प्रबंध कराए

बेकारबांध परिसर के अंदर अवस्थित दुकानों के आगे पहले नाली थी जो सुंदरीकरण में बंद हो गया। अभी तक नाली का प्रबंध नहीं किए जाने से दुकानदारों में आक्रोश दिखा। राशन दुकानदार संत कुमार गुप्ता, गौतम कुमार, लिट्टी दुकानदार राम सूरत महतो ने कहा कि पहले दुकान का पानी नाली के माध्यम से बाहर जाता था जो बंद कर दिया गया है। नगर निगम में चार बार आवेदन दिया पर कोई सुनवाई नहीं हुई। नाली नहीं बनी तो बरसात में दुकानों में पानी घूस जाएगा।

रोहित का सहारा शौचालय भी छिना

बेकारबांध परिसर के अंदर अवस्थित पुराना शौचालय तोड़ा जा रहा है। वर्षो से शौचालय से जीविका पर निर्भर रोहित राम के सामने रोजी रोटी छिनने की नौबत आ गई है। रोहित राम ने बताया कि उसका पूरा परिवार इसी शौचालय की जीविका पर निर्भर हैं। अब पांच बच्चे को लेकर कहां जाएंगे चिंता सता रही है।

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