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Chatara News : गरीबों के लिए पैसे उगाने वाला पेड़ साबित हो रहा केंदु का पौधा, इससे हर साल होती है करोड़ों की कमाई

झारखंड में चतरा के प्रतापपुर वन क्षेत्र में महिलाओं से लेकर छोटे-छोटे बड़े ही मन से केंदु का पत्ता तोड़ते नजर आ सकते हैं। वनोपज पर आश्रित यहां के गरीब केंदु के पौधों को सचमुच पैसे देने वाला पेड़ मानते हैं। केंदु पत्ते को बीड़ी पत्ता भी कहा जाता है। यहां वन विकास निगम की आड़ में चतरा से बाहर के ठेकेदारों द्वारा लाखों का अवैध कारोबार होता है।

By Julqar Nayan Edited By: Arijita Sen Published: Fri, 24 May 2024 01:08 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2024 01:08 PM (IST)
केंदु पत्ता का पोड़ा बांधती महिलाएं व बच्चे।

अजीत पांडेय, प्रतापपुर (चतरा)। मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे, सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे, रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगी और फूल फलकर मै मोटा सेठ बनूंगा! छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की यह काव्य रचना अति महत्वाकांक्षी एवं मृगतृष्णा के शिकार लोगों के ऊपर कटाक्ष के रूप में लिखी गई थी। परंतु प्रतापपुर वन क्षेत्र में महिलाओं से लेकर छोटे-छोटे बच्चों को हसरत से केंदु पत्ता तोड़ते देख एहसास होता है मानो केंदु का यह पौधा उनके लिए पैसा उगाने वाला पेड़ हो।

इलाके में बाहर के ठेकेदार कर रहे लाखों का अवैध कारोबार

वनोपज पर आश्रित गांव के गरीब सचमुच केंदु के पौधों को पैसे देने वाला पेड़ मानते हैं। माने भी क्यों नहीं केंदु के पत्तों को बेचकर गरीब अपनी जरूरतें पूरी करते हैं। केंदु पत्ते को बीड़ी पत्ता भी कहा जाता है।

बीड़ी पत्ते का कारोबार झारखंड वन विकास निगम के अधीन है। चतरा वन क्षेत्र में बीड़ी पत्ते का प्रतिवर्ष करोड़ों का कारोबार होता है। वन विकास निगम की आड़ में चतरा से बाहर के ठेकेदारों द्वारा लाखों का अवैध कारोबार भी होता है।

बीड़ी पत्ता संग्रहण के लिए हर साल निकाला जाता टेंडर

बीड़ी पत्ता संग्रहण को लेकर वन विकास निगम द्वारा चतरा उत्तरी वन क्षेत्र के प्रतापपुर, हंटरगंज व कुंदा के जंगल को कई लाॅट में विभक्त किया गया है। वन विकास निगम की अपनी अलग व्यवस्था है।

नियमानुसार झारखंड राज्य वन विकास निगम को प्रतिवर्ष बीड़ी पत्ता संग्रहण के लिए हर एक लाट का टेंडर निकालना होता है।

झारखंड राज्य वन विकास निगम चतरा उत्तरी वन क्षेत्र के रेंजर रमाकांत राकेश ने बताया कि प्रतापपुर के छह लाट में पांच का टेंडर हो चुका है। सीजन अंतिम चरण में है। इस वर्ष निगम द्वारा बीड़ी पत्ता का दर 175 रुपए प्रति सैकड़ा पोड़ा (एक पोड़े में 52 पत्ते मानक) निर्धारित है।

मजदूरों की हो रही भरपूर अनदेखी

परंतु मजदूरों ने बताया कि कहीं 120 रुपए कहीं 150 रुपए कहीं 140 रुपए सैकड़ के दर से भुगतान किया जा रहा है। नूनमटिया गांव की रहने वाली फुलवा देवी, प्रेमनी देवी, झकसी देवी समेत अन्य महिला मजदूरों ने बताया कि तपती धूप में हम लोग दिनभर जंगल में बीड़ी पत्ता तोड़ते हैं। फिर घर आकर उन पत्तों को सजाकर 52 पत्तों का एक पोड़ा बनाते हैं। एक मजदूर दिन भर में 100 से 150 पोड़ा ही बना पाते हैं।

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